आकाशवाणी और दूरदर्शन के कर्मचारियों के प्रसार भारती कानून को वापस लिए जाने की मांग को लेकर मंगलवार को 48 घंटे की ह़डताल पर जाने के बाद देश भर में आकाशवाणी और दूरदर्शन की प्रसारण सेवाएं प्रभावित हुई।
ह़डताली प्रसार भारती अधिनियम को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन राष्ट्रीय कर्मचारी संघ (एनएफएडीई) के आ±वान पर मंगलवार सुबह नौ बजे यह ह़डताल शुरू हो गई। संघ आकाशवाणी और दूरदर्शन के 38,000 कर्मचारियों के 21 सेवा संगठनों का छत्रक संगठन है। एनएफएडीई के महासचिव कुलभूषण भाटिया ने आईएएनएस को बताया कि संसद मार्ग स्थित आकाशवाणी भवन और
मंडी हाउस स्थित दूरदर्शन कार्यालय में करीब 1,000 कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। भाटिया ने कहा, "पूरे देश में 90 प्रतिशत केंद्रों की सेवाएं बंद हैं। दूरदर्शन पुराने टेप प्रसारित कर रहा है जबकि दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर फिल्में प्रसारित की जा रही हैं।" एनएफएडीई श्रृंखलाबद्ध रूप से आंदोलन कर रही है। भाटिया ने कहा कि जब प्रसार भारती कानून लागू किया गया तो संसद में इस पर चर्चा नहीं हुई थी। अब वे इसमें एक संशोधन कर रहे हैं लेकिन इस बार भी वित्तीय व्यवहारिकता सहित अन्य चिंताओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। भाटिया ने कहा कि यदि मांग पूरी नहीं हुई तो 3 दिसंबर से 72 घंटे का ह़डताल किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रसार भारती संशोधन विधेयक, 2010 मानसून सत्र के दौरान राज्य सभा में पेश किया गया था। इसमें 23 नवंबर 1997 को प्रसार भारती कानून लागू होने से लेकर पांच अक्टूबर, 2007 तक आकाशवाणी और दूरदर्शन में नौकरी शुरू करने वालों को सरकारी कर्मचारियों वाली सुविधाएं देने की बात कही गई थी। केरल में भी प्रसारण सेवाएं प्रभावित हुई हैं। तिरूवनंतपुरम दूरदर्शन केंद्र के समाचार प्रमुख के. एम्पेडी ने आईएएनएस को बताया, ""यहां अभियांत्रिकी प्रभाग के 200 कर्मचारियों सहित करीब 400 कर्मचारी ह़डताल पर हैं। हम आज कुछ भी प्रसारित नहीं कर सकेंगे।" इसी तरह उ़डीसा में भी सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
बुधवार, 24 नवंबर 2010
आकाशवाणी दूरदर्शन कर्मचारियों की हड़ताल !
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