कश्मीर के बारे में अलगाववादी बयान देने के आरोप में आखिरकार सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती राय, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता सैयद अली शाह गिलानी, डीयू में प्रफेसर एस. ए. आर. गिलानी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ देशद्रोह और अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई। यह केस पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश पर दर्ज किया गया है।
राजधानी में 21 अक्टूबर को एक सेमिनार में कश्मीर की आजादी की हिमायत करते हुए अरुंधती ने कहा था कि कश्मीर कभी भी भारत का अभिन्न अंग नहीं रहा है। उन्होंने कश्मीर को भारत से अलग करने का समर्थन करते हुए कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन किया था। अन्य वक्ताओं ने भी भारत पर आरोप लगाया था कि उसने कश्मीर पर जबरन कब्जा किया हुआ है। कश्मीर की आजादी का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान सरकार की तारीफ भी की गई थी। पुलिस के पास इस सेमिनार में दिए गए भाषणों की सीडी मौजूद है। इस बयानबाजी के विरोध में देश भर में भारी हंगामा हुआ था। इन वक्ताओं के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज करने की मांग की गई थी, जिसे भारत सरकार ने ठुकरा दिया था। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि इस मामले में 'कोई एक्शन न लेना भी एक एक्शन है।'
पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने गृह मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में केस दर्ज करने के आधार बताए थे। भारत सरकार के फैसले से नाराज होकर सीआरपीसी की धारा 156/03 के तहत पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई। मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट नविता कुमारी बग्गा ने इस मामले में देशद्रोह का केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसी के बाद केस दर्ज किया गया है। हालांकि पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस केस के राजनीतिक पहलू को देखते हुए इसे किसी दूसरी यूनिट को ट्रांसफर कर ठंडे बस्ते में डालने की संभावना है।
मंगलवार, 30 नवंबर 2010
अरुंधती और गिलानी के खिलाफ केस दर्ज.
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