दोहे और उक्तियाँ !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 28 नवंबर 2010

दोहे और उक्तियाँ !!


अपने जीवन में सत्य के सिद्धांतों का पालन करें

और अपने कार्यों द्वारा उन आदर्शों को स्थापित करें|

तुम तब तक दूसरों को निस्वार्थ होना नहीं सिखा सकते

जब तक हम स्वयं निस्वार्थी न बनें| जब हम

अनुसरण करेंगे तभी दूसरे भी उसका अनुसरण करेंगे।

(श्री परमहंस योगानंद)

कोई टिप्पणी नहीं: