अपने जीवन में सत्य के सिद्धांतों का पालन करें
और अपने कार्यों द्वारा उन आदर्शों को स्थापित करें|
तुम तब तक दूसरों को निस्वार्थ होना नहीं सिखा सकते
जब तक हम स्वयं निस्वार्थी न बनें| जब हम
अनुसरण करेंगे तभी दूसरे भी उसका अनुसरण करेंगे।
(श्री परमहंस योगानंद)
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