जिंदल और लवासा परियोजनाओं पर रोक. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 27 नवंबर 2010

जिंदल और लवासा परियोजनाओं पर रोक.

बाक्साइट खनन की वेदांता की योजना खारिज करने और उड़ीसा में पोस्को इस्पात परियोजना लटकाने के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने अब जिंदल स्टील प्लांट और लवासा की दो प्रमुख परियोजनाओं पर ब्रेक लगा दिया है। 
  
पर्यावरण की कीमत पर विकास नहीं होने देने के रुख पर कायम रहते हुए पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने अपने पर्यावरण एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए जिंदल स्टील एंड पावर की 60 लाख टन क्षमता वाले इस्पात संयंत्र को दी गई मंजूरी रद्द करने का नोटिस भेजा। यह नोटिस पर्यावरण नियमों के कथित उल्लंघन के मामले में भेजा गया है।
  
इसी तरह, पुणे में 2006 के बाद 1,400 अरब रुपये की लागत से एक शहर बसाने की लवासा की परियोजना के लिए भी नोटिस भेजा गया है। कंपनी पर अवैध निर्माण को आगे बढ़ाने का आरोप है। जहां लवासा परियोजना चलाने वाली हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन ने कहा कि उसने अभी नोटिस नहीं पढ़ा है, जिंदल स्टील ने पर्यावरण संबंधी नियमों के किसी तरह के उल्लंघन से इनकार किया है।
पुणे की लवासा लेक सिटी के मामले में पर्यावरण मंत्रालय ने 25,000 हेक्टेयर में बिना मंजूरी के निर्माण गतिविधियां शुरू करने के लिए लवासा कारपोरेशन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। मंत्रालय ने कंपनी को अपना स्पष्टीकरण देने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
कारण बताओ नोटिस में पूछा गया है कि मार्च, 2003 से सितंबर, 2006 के बीच पुणे के मुल्शी और वेल्हे तालुका में खडे़ किए गए अनधिकत ढांचे को क्यों न पूरी तरह गिरा दिया जाए। मंत्रालय ने कहा है कि ये निर्माण पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006 की अवहेलना कर किए गए हैं।
  
कंपनी को गुरुवार को भेजे गए इस नोटिस में कहा गया है कि इस मामले पर उसके जवाब से पहले किसी तरह की निर्माण या विकास गतिविधियां नहीं की जा सकती हैं। जिंदल स्टील एंड पावर लि. के उड़ीसा के अंगुल के प्रस्तावित एकीकत इस्पात संयंत्र के मामले में मंत्रालय ने इस संयंत्र के लिए दी गई मंजूरी को रद्द करने की चेतावनी दी है।
  
पर्यावरण मंत्रालय के 22 नवंबर के आदेश में कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल की अगुवाई वाली कंपनी को नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है। नोटिस में पूछा गया है कि क्यों न 60 लाख टन सालाना क्षमता के एकीकृत इस्पात संयंत्र और 1,000 मेगावाट के कैप्टिव बिजलीघर के लिए दी गई मंजूरी को रद्द कर दिया जाए।
  
कंपनी को भेजे नोटिस में मंत्रालय ने कहा है कि परियोजना के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी इस शर्त के साथ दी गई थी कि परियोजना स्थल पर उस समय तक निर्माण गतिविधियां शुरू नहीं की जा सकती हैं, जब तक वन (संरक्षण) कानून, 1980 के तहत प्राप्त 168. 23 हेक्टेयर जमीन के लिए मंजूरी नहीं मिल जाती। इस परियोजना के लिए कुल 2,160. 38 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। इनमें से 168. 23 हेक्टेयर भूमि वन भूमि है। परियोजना को पर्यावरण संबंधी मंजूरी फरवरी, 2007 में दी गई थी।

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