शराबी राज्य में अव्वल होता बिहार. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

शराबी राज्य में अव्वल होता बिहार.

बिहार में सुशासन और विकाश की बयार ने ऎसी हवा चलायी है की बिहार शराब के खपत के मामले में कई राज्यों के लिए रोल मोडल बन गया है और जी हाँ ये करामात सिर्फ नीतीश जी के नेतृत्व में ही संभव हुआ है. बिहार के विकाश और सुशासन के साथ साथ सामाजिक और व्यवहारिक नेतृत्व अब सिर्फ शराबियों के हाथों में आ गई है.

आंकड़े बता रहे हैं। राज्य के राजस्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली दारू वाले विभाग यानि उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की आमद इस साल सितंबर महीने तक 575.86 करोड़ रुपये हो गयी है। जबकि पिछले साल इस समय तक यह राशि 421.68 करोड़ रुपये थी। यानि पिछले साल की तुलना में इस विभाग ने अब तक 35.19 प्रतिशत अधिक राजस्व वसूला है। आमद में बढ़ोत्तरी की रफ्तार के मामले में वाणिज्य कर विभाग दूसरे नंबर पर है।

इस विभाग ने इस साल के दूसरी तिमाही तक 2572.48 करोड़ रुपये वसूला है जो पिछले साल की दूसरी तिमाही के 2011.58 करोड़ रुपये से 27.88 प्रतिशत अधिक है। तीसरे नंबर पर परिवहन विभाग है जिसकी सितंबर 2010 तक की आमद 195.77 करोड़ रुपये है जो पिछले साल के इस समय तक की आमद 161.74 करोड़ रुपये से 21.04 फीसदी अधिक है।

निबंधन से प्राप्त राजस्व की बढ़ोत्तरी की रफ्तार थोड़ी धीमी है। इस साल इस विभाग में सितंबर तक 507.26 करोड़ की आमद हुई जो पिछले साल के इस अवधि तक 457.67 करोड़ रुपये से 11.08 फीसदी अधिक है। यह खुलासा बुधवार को विधानमंडल में वित्त मंत्री सुशील मोदी द्वारा रखे गए आय-व्यय विवरणी में हुआ। बिहार राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम 18 फरवरी 2006 से लागू है। इसी के प्रावधानों के तहत द्वितीय तिमाही के आय-व्यय का लेखा-जोखा सदन में रखा गया।

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