दूसरे लोगों के व्यवहार के विषय में सोचे बिना
अपने अंतस में देवत्व का प्रयत्न करो| निष्ठावान,
दयालु, प्रिय और समझदार बनो| जो व्यक्ति
अच्छाई के प्रति उत्तरदाई नहीं है, वह आपके
ध्यान का केंद्रबिंदु नहीं होना चाहिए|
(श्री परमहंस योगानंद)
दूसरे लोगों के व्यवहार के विषय में सोचे बिना
अपने अंतस में देवत्व का प्रयत्न करो| निष्ठावान,
दयालु, प्रिय और समझदार बनो| जो व्यक्ति
अच्छाई के प्रति उत्तरदाई नहीं है, वह आपके
ध्यान का केंद्रबिंदु नहीं होना चाहिए|
(श्री परमहंस योगानंद)
About आर्यावर्त डेस्क
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें