एन डी टी वी और प्रणव रॉय का घोटाला. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 8 दिसंबर 2010

एन डी टी वी और प्रणव रॉय का घोटाला.

यह एक ऐसे घोटाले की खबरे हैं जिसे पढ़ कर आप बरखा दत्त और वीर सांघवी के कर्म भूल जाएंगे। यह घोटाला करने का आरोप भी एनडीटीवी के चेयरमैन प्रणय राय पर है और इसे गंभीरता से लेने पर प्रणय राय हर्षद मेहता और केतन पारिख से ज्यादा अलग नजर नहीं आएंगे।

यह इल्जाम किसी आम आदमी ने नहीं लगाया। देश के सबसे सम्मानित पत्रकारों में से एक, भूतपूर्व सांसद, हेडलाइंस टुडे चैनल के मुखिया और संडे गार्जियन के संपादक एम जे अकबर ने बाकायदा लिख कर लगाया है और प्रणय राय और उनकी राधिका राय को चुनौती दी है कि इसका खंडन करे। यह घोटाला आईसीआईसीआई बैंक के साथ मिल कर किया गया बताया गया है।

घोटाले का तौर तरीका बताता है कि आर आर आर आर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के पास एनडीटीवी के अपार शेयर पडे हैं। इन शेयरों की कीमत नकली खरीददारी कर के जुलाई और अक्टूबर 2008 के बीच बढ़ा चढ़ा कर 439 रुपए प्रति शेयर बताई गई। कहा गया कि शेयर बढ़ रहे हैं इसलिए कंपनी अपनी शेयर वापस खरीदना चाहती है मगर उसके पास नकदी नहीं है। ईमानदार एनडीटीवी ने इंडिया बुल्स फाइनेंस सर्विस से 9070297 शेयर गिरवी रख कर 363 करोड़ रुपए ले लिए। यह कर्ज था और जुलाई 2008 में लिया गया था। अगस्त 2008 को शेयर बाजार लुढ़क गया। इंडेक्स 22 हजार से घट कर दस हजार पर आ गया और
एनडीटीवी के शेयर की कीमत 100 रुपए रह गई। इंडिया बुल्स ने एनडीटीवी से कहा कि हमारा पैसा वापस करो।

एनडीटीवी हमेशा की तरह कंगाल था। प्रणय राय ने अपनी साख का सहारा ले कर और शायद बरखा दत्त के टाटाओं, अंबानियों और राडियाओं से रिश्तों को इस्तेमाल कर के आईसीआईसीआई बैंक से अक्टूबर 2008 में 4741721 शेयरों के बदले 375 करोड़ रुपए का कर्ज लिया और ये वे शेयर थे जो आर आर आर आर नाम की अज्ञात कंपनी के पास थे। आईसीआईसीआई की चंदा कोचर जानबूझ कर अंधी हो गई और उन्होंने 100 रुपए का शेयर 439 रुपए का मान कर गिरवी रख लिया। यह पहला बड़ा घोटाला था।

इसके बाद एक और आर्थिक शातिर चाल में शेयर्स का दाम 23 अक्टूबर 2008 को 99 रुपए रह गया और 375 करोड़ के कर्जे के बदले बैंक के पास सिर्फ 47 करोड़ की गारंटी मौजूद रह गई और अब इस शून्य को भरना था। आर आर आर आर कंपनी के बारे में पता चला कि इसके मालिक प्रणय राय और राधिका राय हैं और जुलाई 2008 से पहले इसके पास एनडीटीवी का एक भी शेयर नहीं था और इसकी कुल पूंजी ही मात्र एक लाख रुपए थी। धंधा यह जरूर सैकड़ों का कर रही थी। केतन पारिख ने ये किया तो बेचारा जेल में और प्रणय राय देश को ज्ञान बांटने का पेशा कर रहे हैं।

अभी आघात खत्म नहीं हुए हैं। पैसा का हेर फेर हो जाने के कुछ ही दिन बाद पति पत्नी की चार बार आर नाम वाली कंपनी को चंदा कोचर की बैंक ने लगभग 74 करोड़ का कर्ज फिर दे दिया। यह गैर कानूनी था और अनैतिक भी। कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय भी खामोश रहा।

नवंबर में सीबीआई ने जब जीवन बीमा निगम और अन्य बैंकों के अधिकारियों को कुख्यात कर्ज घोटाले में पकड़ा तो पता चला कि एनडीटीवी विदेशों से भी मोटा कर्जा लेता रहता है और उसके बदले वही शेयर गिरवी रखता रहता है जो भारत में दूसरों के पास गिरवी रखे होते हैं। इसके लिए एनडीटीवी की विदेशों में कुछ फर्जी कंपनियां भी है।

अब बिक चुके एनडीटीवी इमेजिन के दस रुपए के शेयर 776 रुपए में बेचे गए। यह तब हुआ जब चैनल बिक जाने के बावजूद घाटे में हैं। मगर प्रणय राय ने नकली तौर पर बढ़ाए गए दामों का एक पैसा भारतीय शेयर धारकों को नहीं मिला। वैसे एनडीटीवी के शेयर लगातार लुढ़क रहे हैं और अब विदेशों से नाम भुनाने की कोशिश की जा रही है। जो कंपनियां एनडीटीवी के लिए विदेशों में काम कर रही है उनमें से एक का पता 90, हाई हॉल बॉर्न लंदन हैं और यह रैगरपुरा की तरह अपेक्षाकृत गरीब लोगों के रहने की बस्ती शायद इसी झोपड़पट्टी में प्रणय राय को अपना भविष्य नजर आ रहा हो।
---आलोक तोमर---
डेटलाइन इंडिया डाट काम

2 टिप्‍पणियां:

Puneet Kumar Malaviya ने कहा…

he bhagwan kya hoga is mulk ka

बेनामी ने कहा…

pranoy chaalu maal hai unche dave kar logo ko thakta hai maha chor. kya hoga ek aaur piller me jang lag gaya. maa ise bachao