बनारस धमाके का संबध कराची प्रोजेक्ट से. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 8 दिसंबर 2010

बनारस धमाके का संबध कराची प्रोजेक्ट से.

बनारस में मंगलवार शाम हुए बम धमाके के बाद सुरक्षा एजेंसियों की शक की सूई इंडियन मुजाहिदीन के अलावा पाकिस्‍तान स्थित आतंकी संगठनों पर भी घूम रही है। जांच एजेंसियां इसके पीछे की साजिश का भंडाफोड़ करने में लगी हैं और इसमें अमेरिका ने भी मदद की पेशकश की है। 

बनारस के शीतला घाट पर गंगा आरती के दौरान हुए धमाके में एक बच्‍ची की मौत हो गई है जबकि विदेशी सैलानियों समेत करीब 37 लोग घायल हुए हैं। इस विस्‍फोट की जिम्‍मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने ली है। पर इसका संबंध पाकिस्‍तानी आतंकियों के 'कराची प्रोजेक्‍ट' से भी जोड़ा जा रहा है। ऐसा इसलिए भी क्‍योंकि मुंबई हमले के मास्‍टरमाइंड डेविड हेडली ने बनारस के घाटों की रेकी की थी।

पाकिस्‍तानी-अमेरिकी मूल के अमेरिकी नागरिक हेडली ने एफबीआई से पूछताछ के दौरान यह कबूल किया था कि उसने भारत दौरे के समय बनारस में गंगा घाटों की रेकी की थी। खुफिया एजेंसियां बनारस धमाके को हेडली की रेकी के अलावा उसके कराची प्रोजेक्‍ट से भी जोड़कर देख रही हैं जिसके तहत भारत के जज्‍बे को एक हजार छोटे-छोटे ‘घाव’ देकर कमजोर करने की बात कही गई थी।

हेडली ने एफबीआई के समक्ष कबूल किया था कि पाकिस्‍तान भारत की सैन्‍य और आर्थिक क्षमता को तहस नहस करने के इरादे से 1000 ‘छोटे घाव’ देने की तैयारी में है। बनारस धमाके के बारे में भी यही कहा जा रहा है कि यह पाकिस्‍तान के ‘कराची प्रोजेक्‍ट’ का हिस्‍सा हो सकता है। हेडली ने कहा था कि पाकिस्‍तान हजारों घाव देकर भारत का कतरा-कतरा खून बहते देखना चाहता है। 

सूत्रों ने बताया कि हजारों घाव देने का मतलब है कि आतंकी 26 नंबवर जैसा बड़ा हमला करने के बजाय छोटी-छोटी वारदातों को अंजाम देने की फिराक में हैं। मुंबई हमले के बाद पाकिस्‍तान स्थित आतंकी संगठनों पर विश्‍व बिरादरी का दबाव काफी बढ़ गया था जिसके बाद ये छोटे-छोटे हमले कर रहे हैं। इससे पहले सितम्‍बर में दिल्‍ली के जामा मस्जिद के पास हुए आतंकी हमले की जिम्‍मेदारी भी इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी।

इस घटना के बाद इंडियन मुजाहिदीन ने ईमेल भेजकर बाबरी मस्जिद विध्‍वंस की 18वीं बरसी का बदला लेने की बात कही है। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकी ईमेल की सत्‍यता की जांच शुरू कर दी है। पी चिदम्‍बरम ने आज वाराणसी जाकर घटनास्‍थल का मुआयना किया। अमेरिका ने भी बनारस धमाका मामले की जांच में हरसंभव सहयोग का भरोसा दिया है।

कराची प्रोजेक्‍ट को पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां स्थित आतंकी संगठनों जैसे लश्‍कर-ए-तैयबा और हूजी का एक मिला जुला रूप माना जाता है। इसमें शामिल आतंकियों की ट्रेनिंग पाकिस्‍तान में होती है इसके बाद भारत में वारदातों को अंजाम देते हैं।

इस प्रोजेक्‍ट का नाम पाकिस्‍तान में अरब सागर के तट पर बसे शहर कराची के नाम पर रखा गया है जो दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन जैसे भगोड़े गैंगस्‍टरों की शरणगाह माना जाता है। 2003 के बाद अस्तित्‍व में आए कराची प्रोजेक्‍ट को पाकिस्‍तानी आतंकियों साजिद मीर और जकीउर रहमान लखवी की दिमाग की उपज माना जाता है।   

भारतीय एजेंसियों को मिली सूचना के मुताबिक कराची प्रोजेक्‍ट अपराधियों के उस गठजोड़ का नूमना है जो बाद में जिसमें आंतकवाद भी शामिल होता है। इस प्रोजेक्‍ट के तहत ही दाऊद को स्‍थानीय सरकार का सरंक्षण मिला हुआ है। यह प्रोजेक्‍ट 2005 से अब तक 10 बम धमाकों में 517 भारतीयों की मौत के लिए सीधे तौर पर जिम्‍मेदार है। इंडियन मुजाहिदीन को भी इस प्रोजेक्‍ट का हिस्‍सा बताया जाता है। बनारस में हुआ धमाका भले ही ज्‍यादा नुकसान नहीं पहुंचा सका है लेकिन इससे आतंक की दहशत तो फैल ही गई है।

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