क्रांतिकारियों की वासना कथा! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

क्रांतिकारियों की वासना कथा!

जिन्हें यह गलतफहमी है कि माओवादी समाज में बगावत कर के गरीबों और शोषितों को उनका हक दिलवाने निकले हैं उन्हें यह जरूर पढ़ लेना चाहिए। यहां पेश हैं दो नामी माओवादी कमांडरों के कहानी जिन्हेंें अय्याशी से जब फुरसत मिलती हैं और अपने आसपास की रस भरी दुनिया से निकल पाते हैं तभी उन्हें माओ की याद आती है और तभी यह भी याद आता है कि हमारे देश में भूखे नंगों का जम कर शोषण होता है। पहली और छोटी कहानी बंगाल में माओवादियों के राज्य प्रमुख सचिव और हजारों हत्याओं और दूसरे अपराधों के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जिम्मेदार सुदीप चौंगदर की है।
कोलकाता के पड़ोस में चौंगदर को उसके दो साथियों के साथ पकड़ा गया और मकान मालिक ने बताया कि किराए पर मकान लेते वक्त चौंगदर ने अपना नाम शुभेंदु दास बताया था और कहा था कि वह अपनी पत्नी रूपा के साथ रहेगा और एक मल्टीनेशनल कंपनी में अपने आपको मैनेजर भी बताया था। सच यह है कि रूपा असल में माओवादी राज्य कमेटी की सदस्य कल्पना मैती है और इतना ही नहीं वह माओवादी कॉमरेड असीम मंडल उर्फ आकाश की पत्नी भी है। मतलब माओवादी क्रांति का अर्थ अब यह हो गया है कि अपने जूनियर साथियों की पत्नियों को अपनी पत्नी बता कर खुद कन्हैया बने घूमो। कल्पना उर्फ रूपा और सुदीप दोनों पति पत्नी की तरह ही साथ रह रहे थे।

कहानी यही खत्म नहीं होती। सुदीप चौंगदर की शादी असल में राज्य कमेटी के एक और सदस्य असीत सरकार की बहन रिटा से हुई थी। रिटा भी माओवादियों में से एक थी और कई मुठभेड़ों में उसने आगे बढ़ कर हिस्सा लिया है। मगर कॉमरेड सुदीप बहुत रसिया थे इसलिए उन्होंने पश्चिमी मिदिनापुर की एक सुंदर आदिवासी कन्या निर्मला से शादी कर ली। पुलिस का कहना है कि निर्मला को भी माओवादी बना कर जंगल महल इलाके में तैनात कर दिया गया था। कॉमरेड सुदीप अक्सर वहां अपनी खुफिया हनीमून मनाने आते थे। जय हो कॉमरेड माओ की।
दूसरी कहानी कुंदन पाहन की है और यह भी कम चौकाने वाली नहीं है। झारखंड के सब जोनल कमांडर कुंदन पाहन की सबसे बड़ी कमजोरी हैं लड़कियां। जहां पुलिस उसे जिंदा या मुर्दा पकड़ने की कोशिश कर रही है, वहीं वो कई हसीनाओं के साथ सैर कर रहा है।

पांच लाख का इनामी माओवादी कुंदन पाहन दो साल पहले स्पेशल ब्रांच के अफसर की गला रेत कर हत्या करने के बाद सुर्खियों में आया था। अब उसका एक और चेहरा सामने आया है। कुंदन पाहन की एक प्रेमिका की तस्वीरें पुलिस के हाथ लगी हैं। कुंदन इसके साथ गोवा, हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियों में कई दफा घूमने भी गया। रांची पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार किया तब ये राज सामने आया। झारखंड के चार जिलों में अपनी हुकूमत चलाने वाला कुंदन पाहन हर समय लड़कियों से घिरा रहता है।
अपनी महिला मित्रों के साथ वो गोवा, कुल्लू, मनाली और नैनीताल रहता है। कहने के लिए उसने जनता के लिए हथियार उठाए हैं, लेकिन उसका असली चेहरा ये है। ये बात अलग है कि मौज मस्ती में डूबा कुंदन पाहन अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।

पांच लाख रुपये के इनामी और खूंखार उग्रवादी कुंदन पाहन और उसके साथियों को पुलिस ने चक्रधरपुर अनुमंडल के सोनुआ-बंदगांव के सीमा क्षेत्र में घेर लिया है। देर रात तक पुलिस के साथ जबर्दस्त मुठभेड़ जारी थी। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के तीन जवान घायल हो गए। इनके नाम हिम्मत सिंह, संजीव कुमार एवं रमेश कुमार बताए गए। तीनों को अपोलो अस्पताल, रांची में भर्ती कराया गया है। घायल जवानों को देखने सीआरपीएफ के डीआईजी आलोक राज अपोलो पहुंचे। इधर बताया जा रहा है कि मुठभेड़ के दौरान एक माओवादी को गिरफ्तार किये जाने की सूचना है। इस दौरान दोनों और से दो सौ राउंड गोलियां भी चली हैं। रांची प्रक्षेत्र के आईजी रेजी डुंगडुंग ने बताया कि शनिवार को रांची पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि खूंखार माओवादी कुंदन पाहन और उसके दस्ते के कुछ बड़े उग्रवादी बंदगांव थाना क्षेत्र में पनाह लिये हुए हैं।

इस सूचना पर पुलिस उस ओर कूच कर गई। एसपी अखिलेश कुमार झा के नेतृत्व में स्थानीय पुलिस व सीआरपीएफ के जवान जैसे ही बंदगांव थाना क्षेत्र के ममाइल पहाड़ के नजदीक पहुंचे, पुलिस पर गोलियां चलनी शुरू हो गई। जवाब में पुलिस ने भी मोर्चा संभाल लिया और फायरिंग शुरू कर दी। दोनों ओर से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के तीन जवान जख्मी हो गए। इसमें एक जवान की हालत गंभीर है।

खूंटी से भी तीन कंपनी सीआरपीएफ के जवान मौके पर भेज दिये गये हैं। इधर, सीआरपीएफ के डीआईजी आलोक राज ने बताया कि जख्मी जवान हिम्मत सिंह के पैर में गोलियां लगी है। वहीं संजीव और रमेश को भी गोलियां लगी है। जख्मी तीनों जवानों को हैलीकाप्टर से रांची लाया गया। तीनों को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डीआईजी आलोक राज ने बताया कि जो प्राथमिक जानकारी मिली है, उसके अनुसार मुठभेड़ में कुंदन पाहन के अलावा कुछ और बड़े उग्रवादी नेता शामिल हैं। वहीं दस्ते में लगभग 50-60 उग्रवादी हैं। उग्रवादी अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं।
इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रांची में ग्रीन हंट आपरेशन शुरू करने के बाद कुंदन पाहन अपने दस्ते के साथ चक्रधरपुर के सोनुवा व बंदगांव इलाके में शरण ले रखी थी। इस बात की खबर रांची पुलिस को भी मिली थी। इसके बाद से उन इलाकों में पुलिस की दबिश बढ़ गई थी। शनिवार को जैसे ही पुलिस को उनके छुपने के ठिकाने के बारे में पता चला, पुलिस उस ओर कूच कर गई। उग्रवादी जिस पहाड़ पर छुपे हैं, उस इलाके को चारों तरफ से घेर लिया गया है। खबर लिखे जाने तक उग्रवादियों व पुलिस में मुठभेड़ जारी थी। यहां याद दिला दें कि खूंखार कुंदन पाहन दस्ते पर आईसीसीआई बैंक के पांच करोड़ रुपये लूटने, डीएसपी प्रमोद कुमार और एमएलए रमेश सिंह मुंडा की हत्या सहित कई अन्य मामले दर्ज है। कुंदन पाहन को रांची पुलिस द्वारा मोस्ट वांटेड उग्रवादी घोषित किया गया है। कुंदन के सिर पर पांच लाख रुपये का ईनाम रखा गया है।

कुंदन दस्ते के आर्म्ड दल की सक्रिय महिला माओवादी सुनीता ने आत्मसमर्पण के पश्चात पुलिस के सामने कई अहम राज उगले हैं। सुनीता ने बताया कि कुंदन ही नहीं, उसके अतिथियों को भी शारीरिक सुख देना पड़ता था। बॉस के आदेश के बाद नहीं का कोई सवाल ही नहीं था। अक्सर दुष्कर्म की शिकार होती हैं महिला माओवादी । पार्टी के साथी माओवादी व वरिष्ठ माओवादी नेताओं के लिए भोग की वस्तु हैं महिला माओवादी ।

वर्ष 2002-03 में पिता बंगाली मुंडा कुंदन पाहन के दस्ते से जुड़ गए थे। इसी क्रम में वे राजेश मुंडा के दस्ते के सदस्य बने और गौतमधारा एरिया कमेटी के सक्रिय सदस्य बन गए थे। नामकुम थाना क्षेत्र के गरुड़पीड़ी स्थित घर में मैं अकेली रहती थी। पांचवी तक पढ़ाई के बाद स्कूल छूट गई। इसी बीच घर में माओवादियों का आना-जाना लगा रहा।
नवंबर 2008 में 16 वर्ष की उम्र में मुझे कुंदन पाहन के दस्ते में ले जाया गया, तब के बाद मैं पिता से नहीं मिल पाई। कुंदन मुझे अपने पास रखा और पत्नी की तरह रखने लगा था। उसके साथ सुशीला उर्फ अंजू , उर्मिला, प्रमिला, मिनी, अंकिता भी रहती थी। मुझे राइफल चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। महिला साथियों से माओवादी खाना बनवाते थे और जो भी बाहर से नेता आता था, उसके सामने भेज दिया जाता था जो यौन शोषण करता था। कमांडर के आदेश को कोई टालने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। मैं शादी करना चाहती थी, लेकिन माओवादी दूसरी जगह शादी को राजी नहीं थे। टीम में ही शादी करनी है।

इस अवधि में वह किशन जी, अनल दा, मनीष दा, अनमोल दा से भी मिल चुकी है, जो मेरा शोषण कर चुके हैं। करीब दो माह पहले मेरे पिता बंगाली मुंडा को पुलिस जब पकड़ ली तो मैं कुंदन पाहन के पास गई और बोली कि पिता को छोड़वा दे। कुंदन ने साफ कहा कि वह उसकी कोई मदद नहीं कर सकता। इसके बाद मुझे माओवादियों से उम्मीद टूट गई और एक महीने पहले मैं अड़की के मारांगबुरू गांव से बुंडू स्थित अपने चाचा के घर आ गई। चाचा के घर से ही मैं पुलिस से संपर्क की और पुलिस के सामने समर्पण कर दी। मैं इस वर्ष अक्टूबर माह तक कुंदन दस्ते में रही और तमाड़ के रांबो, ममाइल मुठभेड़ में भी दस्ते के साथ रही।


---आलोक तोमर---
डेटलाइन इंडिया डाट काम

2 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत चिन्ताजन्क खबर है। पंजाब मे भी आतंकवादियों ने यही सब कुछ किया था। धन्यवाद इस जानकारी के लिये।

DRBN ने कहा…

aap jaisr log kisi ko bhi badnam karte rahte hai. like polics . aap police ke agent ki tarah kam karte hai. sex ko haua banate hai , koi agra kisi ke sath man se rahta hai to aap lomgo ki kyu fatati hai. aap unke karyon konahi sex ki bat karke kya kahna chahte hai , police aur yr corrupt neta , afsar mafia , busines man ka ganthjod sahi hai , ye sale lootera . aap sabhi usi se belong karte hai . aap sabhi AADARSH SOCIETY WALE HAI