आस्था को उत्पन्न किया जाता है बल्कि कहना चाहिए कि
अपने अंदर उसे ढूंढा जाता है| आस्था अन्तर्निहित होती है
लेकिन उसे बाहर प्रदर्शित करना होता है| अगर तुम अपने
जीवन को देखो तो पाओगे, तुम्हारे जीवन में ईश्वर अनेक
रूपों में कार्य कर रहा है, इससे तुम्हारी आस्था मजबूत होगी|
कोई भी उसके गुप्त हाथों को नहीं देख पाता| अधिकाँश लोग
इन घटनाओं को स्वाभाविक और अवश्यम्भावी समझते हैं|
1 टिप्पणी:
mujhe nahi lagta aastha utpnn kiyejane yogya hai, yah ghatit ho sakta hai, hota hai, mhsus kiya ja sakta hai.
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