ऐसे सत्य मार्ग पर चलो जो दूसरे के लिए कष्टकारक न हो|
यदि आपकी अच्छाई दूसरों के लिए कष्टकारक है तो उन लोगों
से दूर रहो| अगर वे तुम्हारा अनुसरण नहीं करते तो उन्हें
उनके रास्ते पर जाने दो। लेकिन उन लोगों के साथ हमेशा
अपने अनुभव बांटो जो आत्मामृत की खोज में निमग्न है|
ऐसे लोगों को सदैव प्रसन्न रखो|
(श्री परमहंस योगानंद)
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