टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने राज्यसभा के बीजेपी सांसद राजीव चंद्रशेखर को लिखे खुले पत्र में आरोप लगाया है कि बीजेपी के कार्यकाल में भी टेलीकॉम की नीतियां स्पष्ट नहीं थीं और उस समय भी कई अनियमितताएं हुई हैं। अपने पत्र में टाटा ने साफ किया है कि ए राजा या किसी भी अन्य दूरसंचार मंत्री के कार्यकाल में उनके समूह को कोई फायदा नहीं पहुंचाया गया है।
बीपीएल कंपनी के प्रमोटर रहे राजीव चंद्रशेखर ने 2जी घोटाले और नीरा राडिया की रतन टाटा से बातचीत के टेप रिलीज होने के बाद एक पत्र रतन टाटा को लिखा था। इसमें चंद्रशेखर ने आरोप लगाया था कि टाटा ने टेलीकॉम सेक्टर में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में लाभ लिए हैं। टाटा ने खुली चिट्ठी के जरिए चंद्रशेखर को इसी का करारा जवाब दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को सीबीआई को स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच के दायरे में 2001 में एनडीए का कार्यकाल भी शामिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि मामला केवल 1.76 लाख करोड़ रुपयों का नहीं है बल्कि इससे कहीं ज्यादा है। अब रतन टाटा ने बीजेपी को निशाने पर लेकर पुष्टि कर दी कि उस समय भी सबकुछ पूरी तरह नियमानुसार नहीं हुआ। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को आस्वासन दिया है कि वे इस मामले की जांच फरवरी तक पूरी कर लेंगे। सीएजी रिपोर्ट ने 2008 में हुए स्पेक्ट्रम आवंटन को देस का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। रिपोर्ट के अनुसार सरकार को इस वजह से कुल 1.76 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
टाटा ने अपने पत्र में चंद्रशेखर के पत्र को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि ये प्रयास प्रधानमंत्री और सत्ताधारी दल को नीचा दिखाने की साजिश है। उन्होंने मोबाइल व्यवसाय में जीएसएम तकनीक के समर्थकों की लॉबी पर खुलकर हमला बोला और कहा कि इस लॉबी को स्पेक्ट्रम करीब-करीब मुफ्त में ही आवंटित हुआ है। उन्होंने कहा कि 2008 में आवंटित हुए लाइसेंस ने इस शक्तिशाली लॉबी को झटका दिया, जिसके कारण वे इतना हंगामा मचा रहे हैं। अब तक यही लॉबी प्रतियोगी कंपनियों को आगे नहीं बढ़ने दे रही थी और इसी लॉबी की वजह से नीतियों को लागू करने में देरी हुई है।
टाटा ने सरकार की टेलीकॉम नीति का समर्थन करते हुए कहा कि बीजेपी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार के समय भी टेलीकॉम नीतियां साफ नहीं थीं। चंद्रशेखर ने अपने पत्र में आरोप लगाया था कि स्पेक्ट्रम मामले में टाटा की भूमिका साफ नहीं रही और वर्तमान सरकार की टेलीकॉम नीति से उन्हें काफी लाभ पहुंचा है। लेकिन टाटा ने साफ कर दिया कि आपका (राजीव चंद्रशेखर) का एक पार्टी से जुड़ाव स्पष्ट है और पत्र का उद्देश्य पीएम को नीचा दिखाना है।
गुरुवार, 9 दिसंबर 2010
रतन टाटा ने चंद्रशेखर को चिट्ठी से जवाब दिया.
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