किसी भी संघर्ष से अन्धकार और रात्रि नष्ट नहीं हो सकते, लेकिन
जब दीपक या सूर्य का प्रकाश वहां हो तब अन्धकार की परछाईं भी
शेष नहीं रहती| इसी प्रकार जहां सच्चा ज्ञान है वहाँ अज्ञानता की
छाया तक नहीं होगी| वह सच्चा ज्ञान हमारे वास्तविक, आंतरिक
अविनाशी स्वयं से जुड़ा होता है जिस पर अज्ञान का कोई प्रभाव
नहीं होता जिस प्रकार सूर्य को रात्रि का अन्धकार छू भी नहीं सकता|
(स्वामी शिवानन्द )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें