सोनावणे के हत्यारे पोपट की मौत. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 31 जनवरी 2011

सोनावणे के हत्यारे पोपट की मौत.

महाराष्ट्र में अपर जिलाधिकारी यशंवत सोनावणे की हत्या के मुख्य आरोपी पोपट शिंदे की मौत हो गई है. तेल माफिया पोपट शिंदे ने दिनदहाड़े सोनावणे पर कैरोसिन उड़ेल कर आग लगा दी थी. वारदात के दौरान शिंदे भी आग में झुलस गया था.

25 जनवरी को यशवंत सोनावणे पर कैरोसिन उड़ेल कर आग लगाने वाले पोपट शिंदे ने सोमवार को मुंबई के जेजे हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया. वारदात के वक्त पोपट शिंदे भी आग की चपेट में आ गया था. उसका 70 फीसदी शरीर बुरी तरह झुलस गया. हत्याकांड के बाद ही अस्पताल में पोपट शिंदे ने अपना जुर्म कबूल किया. पुलिस को दिए बयान में शिंदे ने स्वीकार किया कि उसने सोनावणे की हत्या की है.

पोपट शिंदे की मौत के बाद पुलिस के सामने केस की पूरी पड़ताल करने की चुनौती बढ़ गई है. पुलिस को उम्मीद थी कि पोपट शिंदे तेल माफियाओं के बारे में काफी जानकारी देगा. इस बीच महाराष्ट्र में तेल माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई जारी है. हफ्ते भर से राज्य में तेल माफियाओं के ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं. अब तक 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

सोनावणे की हत्या से सरकारी कर्मचारी खासे नाराज हैं. भारत में यह तीसरा बड़ा मामला है जब माफियाओं ने किसी ईमानदार अफसर की हत्या की है. इससे पहले 2003 में बिहार में नेशनल हाईवे ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट मैनेजर सत्येंद्र दुबे और 2005 में यूपी में आईओसी के अधिकारी मंजूनाथ की भी माफियाओं ने सरेआम हत्या की थी.

इन हत्याओं से आम लोग भी खफा हैं. सामाजिक संगठनों का कहना है कि जब अधिकारी सुरक्षित नहीं हैं तो आम आदमी कैसे सुरक्षित महसूस करेगा. महाराष्ट्र के राजपत्रित अधिकारियों के संगठन के मुताबिक सोनावणे की हत्या बताती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सरकारी अधिकारी कितने लाचार और असुरक्षित हो जाते हैं.

1 टिप्पणी:

कविता रावत ने कहा…

इन हत्याओं से आम लोग भी खफा हैं. सामाजिक संगठनों का कहना है कि जब अधिकारी सुरक्षित नहीं हैं तो आम आदमी कैसे सुरक्षित महसूस करेगा. महाराष्ट्र के राजपत्रित अधिकारियों के संगठन के मुताबिक सोनावणे की हत्या बताती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सरकारी अधिकारी कितने लाचार और असुरक्षित हो जाते हैं..............बिलकुल सही बात है ...
अप्रयाप्त सुरक्षा की भावना और और क़ानून से बेख़ौफ़ अपराधियों के बढ़ते हौसलों के बीच कोई अकेला कब तक और कहाँ लड़ पायेगा? यह बहुत चिंतनशील स्थिति है..समय रहते कठोर कदम नहीं उठाने के नतीजा है की ऐसी दुर्घटनाएं फिर से दुहराई जाती हैं.. जो बहुत शर्मनाक है ...
सार्थक प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ..