आज नरक निवारण चतुर्दशी है...........भोले शंकर का जन्म दिन. कहा जाता है यह व्रत नरक का निवारण है.
आज के दिन ही, अर्थात नरक निवारण चतुर्दशी को मिथिला के एक ऐसे नाटककार, कलाकार का जन्म हुआ था जिसने बहुत ही कम समय में मिथिला और मैथिली नाटक को एक नई दिशा दी. श्री लल्लन प्रसाद ठाकुर ने अपनी स्कूली शिक्षा मधुबनी के "वाटसन स्कूल" से पूरी कर अपनी इंजीनियरिंग की पढाई एम् आई टी मुजफ्फरपुर से की . बचपन से ही उन्हें गाने एवम नाटक का शौक रहा और सदा अपने विद्यालय में अव्वल आने के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी उतनी ही रूचि लेते.
"श्री लल्लन प्रसाद ठाकुर" पेशे से अभियंता थे, परन्तु उनमे निहित साहित्यिकार उन्हें सदा साहित्यिक सृजन को उत्प्रेरित करता रहा, जो उन्हें आंतरिक ख़ुशी देती थी.श्री लल्लन प्रसाद ठाकुर सामाजिक मुद्दों को बहुत ही सहज ढंग से अपने नाटक द्वारा दर्शकों तक पहुँचा देते. वे सदा अपने ही लिखे नाटक का मंचन करते थे और अपने नाटक में मुख्य भूमिका के साथ उस नाटक के संगीतकार और गीतकार भी खुद ठाकुर रहते थे. एक व्यक्ति में इतने सारे गुण विरले देखने को मिलता है. लल्लन प्रसाद ठाकुर ने बहुत ही कम समय में कई नाटक लिखे हैं जो आज भी मिथिला के गाँव और शहरों में बहुत ही लोक प्रिय है और बार बार उसका मंचन किया जाता है.
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