दोहे और उक्तियाँ !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 30 मार्च 2011

दोहे और उक्तियाँ !!


सांसारिक वस्तुओं के प्रति अधिकार की भावना सभी दुखों

और कष्टों का मूल है। ऐसी वस्तुओं के प्रति भावना का

विकास न होने दे जो स्वभावत: नश्वर हैं। जिस संसार मे

आप रहते हैं और जो आपके सामने है प्रति पल बदल रहा है।

आपका अपना शरीर ही निरंतर बदलाव का जीता-जागता उदाहरण है।

कोई भी संवेदनशील व्यक्ति यह विश्वास नही कर सकता

कि वह इस विशाल सागर मे आने वाली लहर के समान है।


(विष्णु प्रसाद बख्सी)


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