अमरीका ने इन ख़बरों से इनकार किया है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लीबिया में विपक्षी ताक़तों को गुप्त रूप से समर्थन देने का अनुमोदन किया है. ह्वाइट हाउस के मुताबिक राष्ट्रपति ओबामा ने केवल यह कहा है कि वो विद्रोहियों को हथियार मुहैया कराने पर विचार कर रहे हैं. हालांकि रॉयटर न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़ पिछले दो तीन हफ़्ते में राष्ट्रपति ओबामा ने लीबिया में बाग़ियों को गुपचुप तरीके से मदद करने वाले काग़ज़ात पर दस्तख़त किए हैं .
कर्नल गद्दाफ़ी के बेहद क़रीबी माने जानेवाले मूसा कूसा ट्यूनीशिया के रास्ते लंदन पहुंचे हैं. माना जा रहा है कि वो ब्रिटेन के सैनिक विमान से ट्यूनीशिया से लंदन पहुंचे हैं. लीबिया का कहना है कि मूसा कूसा एक राजनयिक मिशन के तहत लंदन में हैं. लीबिया में गद्दाफी समर्थक सेना के लगातार हमलों ने विद्रोहियों को तेज़ी से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है. उधर, लीबिया के विदेश मंत्री मूसा कूसा अप्रत्याशित रूप से ब्रिटेन पहुंचे हैं और उन्होंने अपना पद छोड़ने का एलान किया है.
ब्रितानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है, ''हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि मूसा कूसा 30 मार्च को ट्यूनीशिया से होकर फ़ार्नबरो हवाई अड्डे पर पहुंचे हैं. वो यहां अपनी इच्छा से आए हैं और उन्होंने कहा है कि वो अपना पद छोड़ रहे हैं'' ब्रिटिश विदेश मंत्रालय और ख़ुफिया विभाग के अधिकारियों ने कई घंटों तक उनसे पूछताछ की है. अधिकारियों को लगता है कि मूसा कूसा से लीबियाई सत्ता के बारे में मिली जानकारियां कर्नल गद्दाफ़ी के शासन को ख़त्म करने में मददगार साबित हो सकती हैं. हालांकि अभी तक ये साफ़ नहीं हो सका है कि वो लीबिया से भाग कर आए हैं या फिर उनका इरादा कर्नल गद्दाफ़ी के विरोध का है.
मूसा कूसा की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन या विदेश मंत्री विलियम हेग से अभी तक मुलाक़ात नहीं हुई है हालांकि ब्रितानी विदेश मंत्री पिछले कई हफ़्तों से लगातार उनके संपर्क में हैं. ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने लीबिया सरकार के अन्य सदस्यों से भी कर्नल गद्दाफ़ी का साथ छोड़ने की अपील की है. ब्रिटिश सरकार ने लीबिया विरोधियों को धमकाने के आरोप में लीबियाई दूतावास के पांच राजनयिकों को बर्ख़ास्त कर दिया है. सरकार का कहना है कि ये राजनयिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा साबित हो सकते थे.
लीबिया पर पश्चिमी गठबंधन सेना के हवाई हमले शुरू होने के बाद से कर्नल गद्दाफी सरकार का साथ छोड़ने वाले मूसा कूसा पहली बड़ी शख़्सियत हैं. गद्दाफी विरोधी आंदोलन शुरू होने के दौरान भी उन्होंने ब्रिटेन की सरकार के साथ क़रीबी संबंध क़ायम रखा था. लीबिया के क़ानून और गृह मंत्रियों ने पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था. मूसा कूसा लंबे समय से कर्नल गद्दाफ़ी की सरकार के एक प्रभावशाली सदस्य रहे हैं. वो ख़ुफ़िया विभाग के पूर्व प्रमुख भी हैं. 2003 में लीबिया के अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में वापसी को लेकर हुई बातचीत में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनका नाम लॉकरबी बम धमाके और इसके लिए दोषी ठहराए गए अब्दुल बासेत अली अल मगराही की 2009 में हुई रिहाई से भी जोड़ा जाता है
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