ऑस्ट्रेलिया में मंदिर पर हमला. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 30 मार्च 2011

ऑस्ट्रेलिया में मंदिर पर हमला.


ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स स्थित हिन्दू समुदाय के सबसे प्राचीन मंदिर पर कुछ नकाबपोश बंदूकधारियों ने गोलीबारी की, जिससे वहां मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई। ऑबर्न स्थित श्री मंदिर तीन दशक पुराना है जिस पर हाल ही में नकाब पहने दो लोगों ने हमला किया। यह घटना 19 मार्च की रात की है। हमलावर सीसीटीवी में गोलीबारी करते दिखाई दिए। जासूस हमलावरों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं  ।

  सूत्रों के अनुसार यह हमला कोई पहला मामला नहीं है। मंदिर पर पहले भी कई बार हमले हो चुके हैं। गोलीबारी में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन इससे पुजारी और श्रद्धालुओं के मन में भय व्याप्त हो गया है। गत नवम्बर में कुछ सशस्त्र लोगों ने धातु की छड़ों से उस समय मंदिर परिसर की दो खिड़कियों को नष्ट कर दिया था जब श्रद्धालु मंदिर के अंदर मौजूद थे। मंदिर के पुजारी जतिन कुमार भट ने दावा किया कि बीते समय में कुछ युवक उन्हें परेशान कर चुके हैं, लेकिन गोलीबारी की घटना ने उन्हें काफी डरा दिया है।

 हमले की वीडियो फुटेज पुलिस को सौंप दी गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कुछ गोलियां मंदिर के प्रवेश द्वार की दीवार पर लगीं। एक गोली दीवार को पार करते हुए निकल गई और मंदिर के आपातकालीन द्वार से जा टकराई। एक गोली मंदिर की छत में मारी गई। मंदिर की दीवारों पर गोलियों के निशान देखने से पता चलता है कि इस हमले में बड़े आकार की गोलियां इस्तेमाल की गईं। सामान्य गोलियों का आकार काफी छोटा होता है, लेकिन इस हमले में इस्तेमाल की गई गोलियों से दीवारों में बड़े-बड़े छेद हो गए। इस हिंसा से मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों में भी दहशत है और वे ईमेल इत्यादि भेजकर मंदिर के प्रति मौन समर्थन व्यक्त कर रहे हैं। वे सार्वजनिक रूप से कुछ भी बोलने में डरते हैं। नवम्बर में हुए हमले के दौरान मंदिर के भीतर छह श्रद्धालु मौजूद थे जो किस्मत से बच गए थे।
 

कोई टिप्पणी नहीं: