भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लिए सख्त कानून बनाने और उसमें जनता की भागीदारी की मांग कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता ने यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी की अनशन तोड़ने की मांग को ठुकरा दिया है। अन्ना ने कहा है कि सोनिया गांधी को पहले अपनी सरकार बचानी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हजारे के मुद्दों से सहमति जताते हुए उनसे अनशन समाप्त करने की अपील की थी। सोनिया ने कहा था कि हजारे ने जो मुद्दे उठाए हैं, वे जनता की गंभीर चिंता से जुड़े हुए हैं। इस मामले में कारगर कानून होना चाहिए। मुझे भरोसा है कि अन्ना हजारे के विचारों पर सरकार पूरा ध्यान देगी। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार से तत्काल लड़ने की जरूरत पर दो राय नहीं हो सकतीं।
केंद्र में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी की लोकसभा में नेता सुषमा स्वराज ने अपने संदेश में कहा है कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए हमें कड़े कानून की जरूरत है। इस बीच, अन्ना हजारे के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच अन्ना की मांग पर विचार करने के लिए आज दूसरे दिन बैठक होगी। आज अन्ना हजारे के आमरण अनशन का चौथा दिन है। अन्ना मंगलवार से भूख हड़ताल पर हैं। पूरे देश में अन्ना के समर्थन और भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज़ उठ रही है। बड़ी संख्या में लोग दिल्ली के जंतर मंतर और मुंबई के आज़ाद मैदान समेत देश के कई शहरों में अनशन पर बैठे हुए हैं। भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज़ सिर्फ देश तक ही सीमित नहीं है। अमेरिका में रह रहे भारतीयों ने दांडी यात्रा की है।
सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और अन्ना हजारे के प्रतिनिधि के तौर पर अरविंद केजरीवाल और स्वामी अग्निवेश के बीच गुरुवार को दो दौर की बातचीत में कुछ मुद्दों पर सहमति बन गई है, जबकि कुछ मुद्दों पर बात नहीं बनी है। आज एक बार फिर से बातचीत होगी। आइए, देखें किन मुद्दों पर सहमति बन गई है और किन पर मतभेद बना हुआ है।
अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों की मांग थी कि बिल के लिए सरकार से बाहर के लोगों के साथ मिलकर सरकार संयुक्त समिति गठित करे। सरकार इसके लिए सहमत है। प्रस्तावित समिति में पांच सदस्य सरकार की तरफ से पांच गैर-सरकारी होंगे। हजारे की मांग है कि लोकपाल से जुड़ा बिल पहले से ज्यादा सख्त हो, इस बात पर भी सरकार सहमत है। हजारे चाहते हैं कि बिल को जल्द से जल्द कानून की शक्ल दी जाए। सरकार लोकपाल बिल को संसद के मॉनसून सत्र में लाने को तैयार है।
सरकार पहले समिति का अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी या किसी और वरिष्ठ मंत्री को बनाने की बात कर रही थी। मगर फिर वह किसी रिटायर्ड जज पर सहमत हो गई है। लेकिन हजारे के समर्थक अध्यक्ष पद पर किसी गैर सरकारी व्यक्ति को चाहते हैं। हालांकि हजारे ने इस बात का खंडन किया कि वे समिति का अध्यक्ष बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वे सलाहकार या सदस्य की हैसियत से समिति में रहेंगे। हजारे समर्थक समिति को आधिकारिक स्वरूप देने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए सरकारी अधिसूचना जारी करने की मांग की गई है। लेकिन समिति गठन करने की अधिसूचना जारी करने को राजी नहीं हैं। केजरीवाल का कहना है ‘क्या गारंटी है, सरकार केवल समिति गठन की घोषणा कर दे और कोई औपचारिक अधिसूचना जारी नहीं करे। वे हमें बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’ सरकारी सूत्रों का कहना है कि समिति के मसौदे को आधिकारिक रूप से फाइनल कैबिनेट ही कर सकती है। उसके बाद इसे संसद को पास करना है। कानून बनाने का काम गैर सरकारी लोगों को सौंपने की न तो संविधान इजाजत देता है और न ही ऐसी किसी सरकार के समय परंपरा रही हैं।
अन्ना के साथ आमरण अनशन करने वालों की संख्या दो सौ से अधिक हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर बेंगलुरु, चंडीगढ़, लखनऊ, पुणे, पटना, और मुंबई सहित देश के कई शहरों में उनके समर्थन में लोग आगे आ रहे हैं। इंटरनेट पर ट्विटर और फेसबुक सहित कई सोशल नेटवर्क पर भी अन्ना हज़ारे के आंदोलन को मिल रहा समर्थन व्यापक रूप लेता जा रहा है।
केंद्र में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी की लोकसभा में नेता सुषमा स्वराज ने अपने संदेश में कहा है कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए हमें कड़े कानून की जरूरत है। इस बीच, अन्ना हजारे के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच अन्ना की मांग पर विचार करने के लिए आज दूसरे दिन बैठक होगी। आज अन्ना हजारे के आमरण अनशन का चौथा दिन है। अन्ना मंगलवार से भूख हड़ताल पर हैं। पूरे देश में अन्ना के समर्थन और भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज़ उठ रही है। बड़ी संख्या में लोग दिल्ली के जंतर मंतर और मुंबई के आज़ाद मैदान समेत देश के कई शहरों में अनशन पर बैठे हुए हैं। भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज़ सिर्फ देश तक ही सीमित नहीं है। अमेरिका में रह रहे भारतीयों ने दांडी यात्रा की है।
सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और अन्ना हजारे के प्रतिनिधि के तौर पर अरविंद केजरीवाल और स्वामी अग्निवेश के बीच गुरुवार को दो दौर की बातचीत में कुछ मुद्दों पर सहमति बन गई है, जबकि कुछ मुद्दों पर बात नहीं बनी है। आज एक बार फिर से बातचीत होगी। आइए, देखें किन मुद्दों पर सहमति बन गई है और किन पर मतभेद बना हुआ है।
अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों की मांग थी कि बिल के लिए सरकार से बाहर के लोगों के साथ मिलकर सरकार संयुक्त समिति गठित करे। सरकार इसके लिए सहमत है। प्रस्तावित समिति में पांच सदस्य सरकार की तरफ से पांच गैर-सरकारी होंगे। हजारे की मांग है कि लोकपाल से जुड़ा बिल पहले से ज्यादा सख्त हो, इस बात पर भी सरकार सहमत है। हजारे चाहते हैं कि बिल को जल्द से जल्द कानून की शक्ल दी जाए। सरकार लोकपाल बिल को संसद के मॉनसून सत्र में लाने को तैयार है।
सरकार पहले समिति का अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी या किसी और वरिष्ठ मंत्री को बनाने की बात कर रही थी। मगर फिर वह किसी रिटायर्ड जज पर सहमत हो गई है। लेकिन हजारे के समर्थक अध्यक्ष पद पर किसी गैर सरकारी व्यक्ति को चाहते हैं। हालांकि हजारे ने इस बात का खंडन किया कि वे समिति का अध्यक्ष बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वे सलाहकार या सदस्य की हैसियत से समिति में रहेंगे। हजारे समर्थक समिति को आधिकारिक स्वरूप देने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए सरकारी अधिसूचना जारी करने की मांग की गई है। लेकिन समिति गठन करने की अधिसूचना जारी करने को राजी नहीं हैं। केजरीवाल का कहना है ‘क्या गारंटी है, सरकार केवल समिति गठन की घोषणा कर दे और कोई औपचारिक अधिसूचना जारी नहीं करे। वे हमें बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’ सरकारी सूत्रों का कहना है कि समिति के मसौदे को आधिकारिक रूप से फाइनल कैबिनेट ही कर सकती है। उसके बाद इसे संसद को पास करना है। कानून बनाने का काम गैर सरकारी लोगों को सौंपने की न तो संविधान इजाजत देता है और न ही ऐसी किसी सरकार के समय परंपरा रही हैं।
अन्ना के साथ आमरण अनशन करने वालों की संख्या दो सौ से अधिक हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर बेंगलुरु, चंडीगढ़, लखनऊ, पुणे, पटना, और मुंबई सहित देश के कई शहरों में उनके समर्थन में लोग आगे आ रहे हैं। इंटरनेट पर ट्विटर और फेसबुक सहित कई सोशल नेटवर्क पर भी अन्ना हज़ारे के आंदोलन को मिल रहा समर्थन व्यापक रूप लेता जा रहा है।

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