महाकवि जानकी बल्लभ शास्त्री का निधन. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

महाकवि जानकी बल्लभ शास्त्री का निधन.

छायावाद के अंतिम स्तंभ माने जाने वाले आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री का गुरुवार की रात मुजफ्फरपुर में निधन हो गया। वे 98वर्ष के थे। शास्त्री का अंतिम संस्कार शुक्रवार को दोपहर में होगा।

आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री के निधन के साथ ही छायावाद साहित्य और कविता की लगभग साढ़े नौ दशक से निरंतर कायम एक अध्याय का अंत माना जा रहा है। जानकी बल्लभ शास्त्री जी के परिजनों के अनुसार करीब दो माह से वे जी बीमार थे।

दो हफ्ते पहले ही उन्हें श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) लाया गया था जहां से इलाज के बाद वह वापस अपने घर 'निराला निकेतन' वापस लौट गए थे। उनके निधन से पूरे राज्य के साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ गई है। गौरतलब है कि वर्ष 2010 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री सम्मान दिया था परंतु आचार्य ने इसे ठुकरा दिया था।

आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री ने कई उपन्यास, कहानियां, गद्य पुस्तकें लिखी हैं। इनमें रूप-अरूप, तीर-तरंग, मेघगीत, तमाशा आदि कई पुस्तकें काफी लोकप्रिय हुईं।

कोई टिप्पणी नहीं: