कभी भी परछाई के पीछे दौडने से परछाईं
हाथ नही आती| वह आगे-आगे दौडती है|
लेकिन जब हम परछाई से पराड़मुख हो जाते
हैं तो वह हमारा पीछा करती है| यही तथ्य
सांसारिक वैभवों के विषय में सत्य है|
(स्वामी रामतीर्थ )
कभी भी परछाई के पीछे दौडने से परछाईं
हाथ नही आती| वह आगे-आगे दौडती है|
लेकिन जब हम परछाई से पराड़मुख हो जाते
हैं तो वह हमारा पीछा करती है| यही तथ्य
सांसारिक वैभवों के विषय में सत्य है|
(स्वामी रामतीर्थ )
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