राष्ट्रीय जांच एजेंसी करेगी विस्फोटों की जांच. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

राष्ट्रीय जांच एजेंसी करेगी विस्फोटों की जांच.


आतंकी गतिविधियों में दक्षिणपंथी समूहों की संदिग्ध भूमिका की पड़ताल शुरू करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मक्का मस्जिद, अजमेर शरीफ और मालेगांव, तीन विस्फोटों की जांच अपने हाथ में ले ली है। अभिनव भारत के सदस्यों पर  इन विस्फोटों में शामिल होने का आरोप है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और राजस्थान सरकार की सहमति मिलने के बाद एनआईए ने मामले दर्ज किए। एनआईए अधिकारियों ने कहा कि मक्का मस्जिद, अजमेर शरीफ और मालेगांव में 2006 में हुए विस्फोट के सिलिसिले में तीन मामले दर्ज किए गए हैं और 2008 के मालेगांव धमाके सहित अन्य में मामला बाद में दर्ज किया जाएगा। इन विस्फोटों में शामिल होने का आरोप अभिनव भारत पर लग रहा है। मध्य प्रदेश सरकार ने समझौता एक्सप्रेस विस्फोट के आरोपी सुनील जोशी की हत्या की जांच सौंपने से इंकार कर कथित हिन्दू आतंकी समूहों से संबंधित सभी मामलों की संयुक्त जांच कराए जाने के गृह मंत्रालय के प्रयासों में अवरोध खड़ा कर दिया है।

केंद्र ने मध्यप्रदेश सरकार से कहा था कि वह जोशी हत्याकांड की जांच एनआईए को सौंप दे, लेकिन राज्य सरकार ने कहा कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है और अदालत में आरोप पत्र दायर हो चुका है। केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने नई दिल्ली में अपनी मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद संवाददाताओं को बताया था कि सुनील जोशी का मामला ऐसा नहीं है जो स्थानांतरित किया जाए। यह थोड़ा जटिल है। उन्हें (एनआईए) को एनआईए अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अदालत में आवेदन करना होगा। वे अदालत में आवेदन करेंगे। गृह मंत्रालय ने तीन मामलों की जांच एनआईए से कराने के लिए अधिसूचना जारी की थी, जिनमें दक्षिणपंथी आतंकी समूहों की कथित संलिप्तता की बात कही जा रही है। एनआईए भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में हुए विस्फोट की पहले से ही जांच कर रही है जिसमें 65 से अधिक लोग मारे गए थे। मुम्बई एटीएस पुलिस ने 2006 के मालेगांव विस्फोट में जो आरोप पत्र दायर किया था, उसमें नौ आरोपियों के नाम लिए गए थे और लश्कर-ए-तैयबा तथा प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी पर आरोप लगाया गया था। हालांकि मजिस्ट्रेट के सामने दक्षिणपंथी कार्यकर्ता स्वामी असीमानंद की स्वीकारोक्ति से एटीएस के होश उड़ गए।

 मालेगांव जांच में चार साल से खामोश बैठी सीबीआई ने मामले की दोबारा से जांच करने के लिए एक नई टीम का गठन किया। मक्का मस्जिद जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है। हालांकि राजस्थान एटीएस ने अजमेर विस्फोट मामले में असीमानंद सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुनील जोशी हत्याकांड की जांच एनआईए को दिए जाने से मध्यप्रदेश सरकार के इंकार के बाद गृह मंत्रालय पहले ही एक प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेज चुका है, जिसमें राज्य की भाजपा सरकार की मंजूरी के अभाव में कानूनी सलाह मांगी गई है। मध्यप्रदेश सरकार सुनील जोशी हत्याकांड में मालेगांव में 2008 में हुए धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित कुछ लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर चुकी है। एनआईए अधिनियम के तहत केंद्र को यह शक्ति प्राप्त है कि वह आतंकवाद से जुड़े किसी भी मामले को एनआईए को सौंप सकती है और इसके लिए उसे किसी राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है। हालांकि मध्यप्रदेश सरकार का तर्क है कि सुनील जोशी हत्याकांड में कोई आतंकी पहलू नहीं है। जोशी की मध्यप्रदेश के देवास में दिसंबर 2007 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वर्तमान में जेल में बंद समझौता विस्फोट के आरोपी स्वामी असीमानंद ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में दक्षिणपंथी चरमपंथी नेटवर्क के एक प्रमुख साजिशकर्ता के रूप में जोशी का नाम लिया था। एनआईए फरवरी 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस विस्फोट और सितंबर 2008 के मोदासा विस्फोट की जांच पहले से ही कर रही है।
 

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