भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए वर्ष 2010 के लिए प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार वरिष्ठ फिल्मकार क़े बालाचंदर को दिया जायेगा। पुरस्कार स्वरूप उन्हें स्वर्ण कमल और दस लाख रूपये नकद प्रदान किए जायेंगे।
2010 के लिए फिल्मों का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार वरिष्ठ फिल्मकार क़े बालाचंदर को प्रदान किया जायेगा। उन्हें यह पुरस्कार देने की अनुशंसा जाने माने लोगों की समिति ने की। पिछले 45 साल से अधिक समय से क़े बालचंदर फिल्म निर्देशक, निर्माता और पट कथा लेखक के तौर पर सक्रिय हैं। उन्होंने कन्नड़, तमिल, तेलुगु और हिन्दी में 100 से अधिक फिल्मों का निर्माण किया है। उन्हें अलग तरह की फिल्म निर्माण तरीके के लिए जाना जाता है।
बालाचंदर को रजनीकांत, कमल हासन, प्रकाशराज और विवेक जैसे वर्तमान दौर के कई सितारों को फिल्मी दुनिया में लाने का श्रेय है। उन्हें 1987 में पदमश्री और 1973 में तमिलनाडु सरकार ने कलाईममानी की उपाधि से सम्मानित किया गया था। आंध्र प्रदेश सरकार के ने उन्हें गोल्डन नंदी और सिल्वर नंदी अवार्ड प्रदान किया। उन्हें कई दफा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की विभिन्न श्रेणियों के तहत सम्मानित किया जा चुका है।
क़े बालाचंदर ने 1965 में फिल्म उद्योग में कदम रखा था और नागेश अभिनीत अपनी पहली फिल्म नीरकुमिझी से ही लोकप्रियता हासिल कर ली। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया, जिसके लिए उन्हें विभिन्न श्रेणियों के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिए गए। बालाचंदर द्वारा निर्देशित प्रमुख फिल्मों में अपूर्वा रागगल, अवर्गल, 47 नाटकल, सिंधु भैरवी, मारो चरित्रा और रूद्रवीणा, एक दूजे के लिए (हिन्दी) और बेकियाली अरलिदा होवु (कन्नड) प्रमुख हैं।
तमिलनाडु के तंजावुर जिले में जुलाई 1930 में जन्में बालाचंदर ने नाट्य लेखक के तौर पर अपना कॅरियर शुरू किया था। उनके प्रमुख नाटयों में मेजर चंद्रकांता, सर्वर सुंदरम, नानल और नीरकुमिझी प्रमुख हैं। यह नाटक बेहद लोकप्रिय रहे और इन्हें समीक्षकों से भी सराहना मिली। पिछले कुछ साल से बालाचंदर ने छोटे पर्दे का रूख कर लिया है और वहां भी उन्होंने बडे पर्दे की तरह अपना सर्वोत्तम देने का प्रयास किया है।
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