अप्रैल, 1995 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में जोउपुर झालदा इलाके में जो हथियार गिराए जाने की घटना बड़ी साजिश का हिस्सा थी। इस घटना को अंजाम देने वाले नील्स क्रिश्चन नील्सन उर्फ किम डेवी ने एक भारतीय टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए यह दावा किया है।
किम का कहना है कि एक आतंकी के रूप में उनके भारत प्रत्यर्पण का बहुत ज्यादा खतरा था, जबकि वह खुद को आतंकी नहीं मानते। वह मानते हैं कि उन्होंने लोगों को ‘साम्यवादी आतंक’ से निजात दिलाने के लिए यह कार्रवाई की। किम का दावा है कि भारतीय प्रशासन एक बार फिर उनके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा है और इसीलिए उन्होंने 16 साल चुप रहने के बाद सारी पोल खोलने का फैसला किया।
किम के मुताबिक पुरुलिया में गिराए गए हथियार ‘राज्य सरकार के साम्यवादी आतंक’ से बचने के लिए थे। उनके मुताबिक इस काम में तत्कालीन केंद्र सरकार भी भागीदार थी। सालों से सांसदों ने पुरुलिया जिले के लोगों का दमन रोकने के लिए अर्जी दी थी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 24 सांसदों ने इन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति के दखल की भी मांग की थी। पर कुछ नहीं हुआ, लेकिन अंत में केंद्र सरकार ने इस योजना पर विचार किया और निर्दोष लोगों को हथियारबंद करने की योजना को मंजूरी दी। किम का यह भी दावा है कि हथियार गिराए जाने के बारे में खुफिया एजेंसी रॉ को काफी समय से पता था। रॉ के लोगों की इस बारे में ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई5 के अफसरों से भी बात हुई थी।
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