भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे के नाम से गठित ट्रस्ट को 20 एकड़ जमीन का आवंटन सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने यह फैसला बुधवार को सुनाया। इसके साथ ही प्रदेश की शिवराज सरकार को एक झटका लगा है।
राजधानी के शाहपुरा इलाके में यह जमीन है, जिसका बाजार मूल्य करोड़ों रुपए है। इस जमीन का सालाना लीज रेंट ही 98 लाख रुपए आता, लेकिन एक रुपया सालाना लीज रेंट पर प्रदेश की भाजपा सरकार ने यह जमीन कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट को आवंटित कर दी थी।
प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जब उमा भारती थीं, तब इस जमीन को आवंटित करने का प्रस्ताव आया था। बाबूलाल गौर जब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो ट्रस्ट के लिए शाहपुरा इलाके में इस 20 एकड़ जमीन को आरक्षित करा लिया गया।
प्रदेश के वर्तमान लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए ट्रस्ट को इस जमीन का आवंटन किया था। इस आवंटन के खिलाफ कई लोगों ने आपत्ति उठाई। अवैधानिक तरीके से जमीन आवंटन मामले को लेकर पहले आपत्ति हाईकोर्ट में लगाई गई। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार और ट्रस्ट के बीच आपसी-समन्वय बनाकर निर्णय लेने की सलाह दी। इसके बाद भी कोई निर्णय नहीं हो सका। मामला सुप्रीम कोर्ट ले जाया गया.,जहां बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने जमीन आवंटन को रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के फै सले में बाद जब बाबूलाल गौर से इस संबं ध में सवाल किया गया तो वे कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दे सके। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का कांग्रेस ने स्वागत किया है।
राजधानी के शाहपुरा इलाके में यह जमीन है, जिसका बाजार मूल्य करोड़ों रुपए है। इस जमीन का सालाना लीज रेंट ही 98 लाख रुपए आता, लेकिन एक रुपया सालाना लीज रेंट पर प्रदेश की भाजपा सरकार ने यह जमीन कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट को आवंटित कर दी थी।
प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जब उमा भारती थीं, तब इस जमीन को आवंटित करने का प्रस्ताव आया था। बाबूलाल गौर जब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो ट्रस्ट के लिए शाहपुरा इलाके में इस 20 एकड़ जमीन को आरक्षित करा लिया गया।
प्रदेश के वर्तमान लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए ट्रस्ट को इस जमीन का आवंटन किया था। इस आवंटन के खिलाफ कई लोगों ने आपत्ति उठाई। अवैधानिक तरीके से जमीन आवंटन मामले को लेकर पहले आपत्ति हाईकोर्ट में लगाई गई। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार और ट्रस्ट के बीच आपसी-समन्वय बनाकर निर्णय लेने की सलाह दी। इसके बाद भी कोई निर्णय नहीं हो सका। मामला सुप्रीम कोर्ट ले जाया गया.,जहां बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने जमीन आवंटन को रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के फै सले में बाद जब बाबूलाल गौर से इस संबं ध में सवाल किया गया तो वे कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दे सके। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का कांग्रेस ने स्वागत किया है।

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