दोरजी खांडू के हेलीकॉप्‍टर का कोई पता नहीं. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


सोमवार, 2 मई 2011

दोरजी खांडू के हेलीकॉप्‍टर का कोई पता नहीं.


अरुणाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री दोरजी खांडू के हेलीकॉप्‍टर का सोमवार तीसरे दिन भी अब तक कोई पता नहीं चल सका है। खराब मौसम के चलते खेज अभियान में लगे 3000 जवानों की टीमों को भी कोई कामयाबी हाथ नहीं लग सकी है। वायुसेना के दो सुखोई-30 एमकेआइ विमान संभावित दुर्घटना क्षेत्र का जायजा लेकर वापस बरेली लौट चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि घटनास्‍थल के आस-पास काफी धुंध होने के कारण इसरो के सेटेलाइट से ली गई फुटेज से भी कुछ स्‍पष्‍ट नहीं हो पा रहा है। 

केंद्र सरकार ने दो मंत्रियों को खोजबीन पर निगरानी रखने के लिये ईंटानगर भेजा गया है। पड़ोसी मुल्‍क भूटान से भी मदद मांगी गई है। दो दिन के दौरान जा‍री कोशिशों के बारे में सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने बताया कि अभी तक मुख्‍यमंत्री के हेलीकॉप्‍टर का सुराग नहीं मिल सका है। उल्‍लेखनीय है कि रविवार सुबह दस बजे तवांग से खांडू को ईटानगर के लिए लेकर उड़े पवनहंस कंपनी के हेलीकॉप्टर का करीब 20 मिनट बाद ही रेडियो संपर्क टूट गया था।

देश के पूर्वोत्‍तर इलाके में लागातर बढते जा रहे हेलीकॉप्‍टर हादसों की फेहरिस्‍त इस क्षेत्र में मौजूद विमानन चुनौतियों और उनसे मुकाबले की कमजोर तैयारियों के नीचे लागातार लाल लकीर खींच रही है। बीते दस सालों की बात करें तो इस दौरान नागरिक और सैन्‍य हेलीकॉटर दुर्घटना की एक दर्जन से ज्‍यादा वारदातों ने न केवल कई कीमती जानें ली हैं बल्कि व्‍यवस्‍था से जुड़ी कई खामियों की कलई भी खोल दी है। खराब मौसम और रख-रखाव में देरी जैसे सहज कारण लगातार हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ा रहे हैं।

बीते केवल नौ महीनों के दौरान हुए तीन सैन्य हेलीकॉप्टर हादसे में करीब पंद्रह से ज्यादा सैन्यकर्मियों को जान गंवानी पड़ी है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के साथ हेलीकॉप्टर उड़ानों को सुरक्षित बनाने के लिए काम कर रही रोटरी विंग सोसाइटी ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में बीते दो दशक के दौरान हुए अधिकतर हादसों में खराब रखरखाव, मौसम का मिजाज पढ़ने में पायलट की चूक जैसी गलतियां जानलेवा साबित होती हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: