मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार की शाम पटना पहुंच गए। अपने चार दिनों के भूटान प्रवास से लौटे नीतीश ने यात्रा को सुखद और उपयोगी बताया। मुख्यमंत्री ने भूटान को भारत का विश्वासी मित्र बताते हुए कहा कि भूटान के लोगों में बिहारवासियों के प्रति अपार स्नेह और सम्मान है। नीतीश कुमार भूटानवासियों के पर्यावरण प्रेम को देख अभिभूत हैं। मुख्यमंत्री ने भूटानवासियों से प्रेरणा लेते हुए बिहारवासियों से पर्यावरण रक्षा पर विशेष ध्यान देने और अपनी संस्कृति और रीति-रिवाजों को सहेज कर रखने की अपील की है। साथ ही उन्होंने भूटान में भारत सरकार के सहयोग से चल रही पनबिजली परियोजनाओं में बिहार सहित दूसरे राज्यों को भी सहभागी बनाने की मांग केंद्र से की है।
अपना भूटान प्रवास समाप्त कर राजकीय विमान से पटना लौटे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पटना हवाई अड्डा पर में भव्य स्वागत हुआ। ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी के अलावा कई विधायक, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बुके देकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि भूटान नरेश को उन्होंने विवाह के बाद बिहार आने का न्योता दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। जबकि वहां के प्रधानमंत्री थिनले ने राजगीर में बौद्ध मंदिर और धर्मशाला निर्माण के शिलान्यास के लिए आने पर रजामंदी दे दी है। मुख्यमंत्री ने अपनी भूटान यात्रा को बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से उपयोगी बताया।
नीतीश ने कहा कि पनबिजली से भूटान की माली हालत अच्छी हुई है। भूटान में 30 हजार मेगावाट जलविद्युत की संभावनाएं हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के सहयोग से भूटान में लगाई जा रही जलविद्युत परियोजनाओं में राज्यों को भी सहभागी बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इससे राज्यों को अपने हिस्सा पूंजी के बदले बिजली मुहैया हो सकेगी। भूटान में पर्यावरण के महत्व से प्रभावित मुख्यमंत्री ने कहा कि वहां के संविधान में न्यूनतम 60 फीसदी वन क्षेत्र का प्रावधान है। जबकि वास्तव में 72 फीसदी क्षेत्र वनों से आच्छादित है। नीतीश कुमार ने कहा कि भूटान के लोगों में आत्मीयता है और वे अपनी परंपराओं, रीति रिवाजों और पहनावों के प्रति गर्व का अनुभव करते हैं। मुख्यमंत्री ने बिहारवासियों को भूटान के लोगों की इस खासियत को अपनाने की अपील की है।

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