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सोमवार, 9 मई 2011

विकिलीक्स का नया खुलासा.

विकिलीक्स के ताज़ा खुलासों ने बताया है कि कैसे पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई ने पाकिस्तानी सेना द्वारा चुने गए भारतीय ठिकानों पर हमला करने के लिए आतंकियों को सीमा पार करवाया। ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने के बाद अब इस नए खुलासे ने पाक शासकों पर उठ रहे संदेह को गहरा दिया है। 

विकिलीक्स की ओर से जारी किए गए नए केबल संदेशों के मुताबिक गुवांटानमो बे के कुछ कैदियों ने अमेरिकी जांचकर्ताओं के सामने ये राज खोले कि आईएसआई ने आतंकवादियों को सीमा पार जाने की इजाजत दी जहां उन लोगों ने आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया। खास बात यह कि जिन ठिकानों पर इन आतंकियों ने हमले किए वे पाकिस्तानी सेना के चुने हुए थे।

विकिलीक्स के ये खुलासे उन 779 पूछताछ रिपोर्टों का एक हिस्सा हैं -जिनमें दुनिया के विभिन्न इलाकों के हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ का ब्योरा है। इन रिपोर्टों से साफ होता है कि कैसे सऊदी अरब, अल्जीरिया और पाकिस्तान जैसे देशों के कैदियों ने अपनी भर्ती, टेरर ट्रेनिंग और भारत तथा अफगानिस्तान में आतंकी हमलों के लिए अपनी तैनाती से जुड़ी सारी बातें बताईं।

एक अल्जीरियाई कैदी अब्दुल अजिया ने स्वीकार किया कि वह लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य था। उसने बताया कि उसका मिशन ' भारत में भारतीयों की हत्या करना ' था। रिपोर्ट के मुताबिक उसकी भर्ती सऊदी अरब में हुई थी। उसके बाद उसे पाकिस्तान में लश्कर ने ट्रेनिंग दी। ट्रेनिंग के बाद उस आतंकी गतिविधियों के लिए कश्मीर भेजा गया। बाद में वह अफगानिस्तान भी गया जहां घायल हो गया। रिपोर्ट में ऐसे ही कई कैदियों के बारे में बताया गया है। एक पाकिस्तानी कैदी मोहम्मद अनवर को पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में ट्रेनिंग मिलने की जानकारी दी गई है।

विकिलीक्स के मुताबिक इन आतंकियों को आईएसआई डायरेक्टरेट का एजेंट के रूप में चिह्नित किया गया है।  रिपोर्ट में एक अफगान आतंकवादी चमन गुल को पाक सेना के पूर्व मेजर मस्त गुल के बारे में जानकारी देते बताया गया है जो कश्मीर में लड़ चुका कुख्यात आतंकवादी था। उसने काबुल में बी कई आतंकी हमलों की योजना तैयार की थी। कैदियों का दावा है कि मस्त गुल कश्मीर की सभी गुरिल्ला कार्रवाइयों को नियंत्रित करता था।

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