उच्चतम न्यायालय रिलायंस टेलीकॉम के अध्यक्ष अनिल अंबानी, एसार के सीईओ प्रशांत रूइया और टाटा जैसे कॉरपोरेट घरानों को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच के दायरे में लाने की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति जी़एस़ सिंघवी और न्यायमूर्ति ए़क़े गांगुली की पीठ इस बात का फैसला भी करेगी कि क्या मामले में सीबीआई जांच पर नजर रखने के लिए कोई उच्चाधिकार समिति बनाई जाए।
अदालत ने 27 अप्रैल को मामले की पिछली सुनवाई में एक गैर सरकारी संगठन के आवेदन पर सुनवाई पर सहमति जताई थी, जिसने दलील दी थी कि सीबीआई बड़ी मछलियों को नहीं पकड़ रही है जो घोटाले में वास्तविक लाभार्थी रहे हैं।
2जी मामले को उच्चतम न्यायालय में लाने वाले संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने आरोप लगाया कि शाहिद उस्मान बलवा की स्वान टेलीकॉम और लूप टेलीकॉम क्रमश: आरकॉम तथा एसार समूह के लिए मोहरा बनीं थीं तो टाटा ने तमिलनाडु के एक संगठन को धन देने के चलते लाभ हासिल किया, जिसकी निदेशक द्रमुक सांसद कनिमोझी थीं।
एनजीओ की तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि 2जी लाइसेंस के लिए अयोग्य आरकॉम ने स्वान टेलीकॉम की वित्तीय मदद की थी और कंपनी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले इसके कर्ताधर्ता अनिल अंबानी को सीबीआई ने वास्तविक लाभार्थी होने के बावजूद नहीं छूआ।
उन्होंने दलील दी थी कि वास्तविक लाभार्थी अनिल अंबानी हैं, जिनकी समूह की कंपनियों में सर्वाधिक हिस्सेदारी है और वह इसके अध्यक्ष हैं। सीबीआई ने उन्हें बचाने का प्रयास किया और केवल कर्मचारियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किये। एनजीओ ने कहा था कि घोटाले में प्रशांत एइया और टाटा की कथित संलिप्तता को लेकर जांच ठंडी हो गयी।

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