रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मंगलवार को पेश की गई मौद्रिक नीति में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में क्रमशः 0.50-0.50 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया है, जिससे होम लोन के लिए वसूल किए जाने वाले ब्याज की दर बढ़ना तय है।
इस घोषणा से अब रेपो दर बढ़कर 7.25 फीसदी हो गई है, जबकि रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि सीआरआर (नकद आरक्षी अनुपात) में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं की गई है और वह छह फीसदी के पिछले स्तर पर बना रहेगा। इसके अलावा बचत खाते पर ब्याज दर मौजूदा 3.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत की गई है।
रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने के उद्देश्य से सोमवार को जारी की गई 'वृहत आर्थिक और मौद्रिक घटनाक्रम' रिपोर्ट में दर वृद्धि के संकेत देते हुए कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं, खासतौर से कच्चे तेल के ऊंचे दामों के मद्देनजर इस साल अभी महंगाई के दबाव से निजात मिलने वाली नहीं है। बैंक का कहना था कि वित्त वर्ष की पहली छमाही में, यानि अगस्त-सितंबर, 2011 तक मुद्रास्फीति के ऊंचा बने रहने की आशंका है।
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष के उत्तरार्द्ध में मुद्रास्फीति कुछ नीचे आएगी, लेकिन फिर भी सामान्य स्तर से ऊपर ही रहेगी। उल्लेखनीय है कि मार्च के अंत में मुद्रास्फीति 8.98 प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं के दाम ऊंचे हैं। विशेषकर कच्चे तेल के दाम उच्चस्तर पर बने हुए हैं और घरेलू बाजार में पेट्रोलियम कीमतें नहीं बढ़ाई गई हैं और निकट भविष्य में जब कभी पेट्रोलियम मूल्य बढ़ाए जाएंगे, मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने का जोखिम बना रहेगा।
रिजर्व बैंक की इस राय से माना जा रहा था कि मंगलवार को घोषित होने वाली सालाना ऋण एवं मौद्रिक नीति में रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक नकदी उधार देने (रेपो) और अल्पकालिक उधार लेने (रिवर्स रेपो) की दरों में और वृद्धि कर सकता है। पिछले एक साल में रिजर्व बैंक इनमें आठ बार वृद्धि कर चुका है।

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