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गुरुवार, 25 अगस्त 2011

जन लोकपाल पर सरकार का रुख कडा.


जन लोकपाल के लिए चल रही लड़ाई और लंबी खिंचने के आसार हैं। सरकार ने अपना रुख कड़ा कर लिया है तो टीम अन्‍ना ने भी कड़े तेवर अपनाने के संकेत दिए हैं। गुरुवार को अन्‍ना हजारे के अनशन का दसवां दिन है, पर सरकार झुकने के मूड में नहीं है। आज दोपहर बातचीत का चौथा दौर होना है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि टीम अन्‍ना बातचीत का बहिष्‍कार कर सकती है। टीम अन्‍ना कह रही है कि वह कांग्रेस की राजनीति का शिकार हो रही है।  

टीम अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि बातचीत से जनतंत्र चलता है। हम उसके लिए तैयार हैं। लेकिन बातचीत के दायरे और स्वरूप पर चर्चा करने की जरूरत है। अरविंद ने कहा कि सरकार अब नए सिरे से कानून तैयार करना चाहती है। उन्होंने नए बिल के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के इस कदम से क्या फायदा होगा। नए सिरे से कानून लिखने के लिए 12 बजे के बाद सरकार की तरफ से टीम अन्ना को बुलाया जा सकता है। 

अन्ना की सेहत के बारे में अरविंद केजरीवाल ने बताया, अन्ना की तबियत फिलहाल ठीक है। लेकिन आगे कैसी होगी, कहा नहीं जा सकता है। अरविंद ने कहा कि अन्ना हजारे को कुछ भी होगा तो सरकार जिम्मेदार होगी। अरविंद के मुताबिक सरकार में कौन सा शख्स है जो कहे कि हमसे जो बात होगी वह अंतिम है। बीजेपी अपना रुख साफ करे। यह बिल संसद के सामने है, तो बीजेपी अब अपना रुख साफ करे। लेफ्ट पार्टियों का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि लेफ्ट पार्टियों ने कई बातों पर सहमति जताई है। टीम अन्‍ना का कहना है कि सरकार बात से पीछे हट रही है। उनका मानना है कि सरकार के पास बिल का ड्राफ्ट है। ऐसे में बातचीत का कोई मतलब नहीं है। अगर सरकार का कोई सुझाव हो तो वह हमें बता सकती है।  वैसे भी अब तक जो बातचीत हुई है, उसमें सरकार का मुख्‍य जोर अन्‍ना का अनशन तुड़वाने पर रहता है, न कि जनलोकपाल बिल पारित कराने को लेकर।

बुधवार देर रात प्रणब मुखर्जी और टीम अन्‍ना के बीच तीसरे दौर की बातचीत के बाद भी लड़ाई शांत होने के बजाय तेज होती ही दिखी। टीम अन्‍ना ने कहा कि सरकार ने साफ कर दिया है कि जन लोकपाल बिल संसद में पेश नहीं किया जा सकता। यही नहीं, किरण बेदी ने तो यहां तक कहा कि अन्‍ना के अनशन को लेकर प्रणब मुखर्जी ने कहा कि यह आपकी समस्‍या है। 

टीम अन्ना के इस बयान के बाद बुधवार देर रात वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी सफाई पेश की। उन्‍होंने कहा कि उनकी बातचीत को तोड़- मरोड़ कर पेश किया गया। उन्‍होंने कहा कि इस वजह से जनता के सामने हमारी बात सही तरीके से पेश नहीं हो पाई। इसलिए मुझे प्रेस वार्ता करनी पड़ी। उन्‍होंने कहा कि मैंने ऐसा कभी नहीं कहा कि अनशन आपकी समस्या बल्कि मैंने कहा था कि अन्ना का अनशन राष्ट्रीय मुद्दा है।  केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी कहा कि सरकार का रुख नहीं बदला है और हम गुरुवार को भी बातचीत जारी रखेंगे। उन्‍होंने कहा कि अन्‍ना अनशन की जिद छोड़ें।

सरकार के तेवर सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों का रुख भांपने के बाद बदले हैं। लगभग सभी दलों ने यह राय दी कि संसद सर्वोच्‍च है और टीम अन्‍ना के आगे झुक कर इस मान्‍यता को कमजोर नहीं होने देना चाहिए। इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दो टूक कहा कि हम टीम अन्ना की सभी मांग नहीं मान सकते हैं। 
बुधवार की रात प्रणब के साथ बैठक के बाद टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी ने कहा कि कल वे हमारी बात सुन रहे थे, पर आज वे हमें सुना रहे थे। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वे हमें डांट रहे थे। सरकार ने यहां तक कह दिया कि अन्ना अगर अनशन जारी रखना चाहते हैं तो यह आपकी समस्या है, हम संसद की प्रक्रिया नहीं छोड़ेंगे। टीम अन्ना से कहा गया कि वे लोकपाल के नए ड्राफ्ट के लिए अपने विचार दे सकते हैं, जिसे शामिल करने पर बात हो सकती है। 

बैठक से निकलने के बाद किरण बेदी ने आशंका जताई कि पुलिस अन्‍ना को जबरन उठा ले जा सकती है। इस आशंका को देखते हुए अन्ना हजारे ने रात सवा ११ बजे अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर मुझे जबरन उठाया गया तो लोग शांतिपूर्वक सांसदों का घेराव करें और देश भर में गिरफ्तारियां दें। तब देर रात पुलिस ने किरण बेदी को एसएमएस करके बताया कि जब तक डॉक्टर नहीं कह देंगे कि अन्‍ना की हालत नाजुक है, तब तक वे अन्‍ना की मर्जी के बिना उन्‍हें अस्पताल नहीं ले जाएंगे।

सरकार के सूत्रों का कहना है कि टीम अन्ना समय-सीमा और जनलोकपाल विधेयक को लेकर अड़ी थी, जिसे नहीं माना जा सकता है। बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी बहुत ही तल्ख नजर आए। गौरतलब है कि सरकार ने मंगलवार देर रात सीसीपीए की बैठक और कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में तय कर लिया था कि सरकार संसदीय प्रक्रिया के तहत ही काम करेगी। 

प्रणब मुखेर्जी ने शाम में सर्वदलीय बैठक में ही बता दिया था कि सरकार लिखित रूप से टीम अन्ना से कोई समझौता नहीं करेगी। सरकार की ओर से बताया गया कि हर राज्य में लोकायुक्त बनाने और छोटे कर्मचारियों को भी लोकपाल के दायरे में लाने के दो मुद्दों पर ही मतभेद बरकरार है। उधर केंद्रीय मंत्री नारायण सामी ने बताया कि जनलोकपाल विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया है। प्रधानमंत्री ने अन्ना पक्ष की जनलोकपाल विधेयक पारित कराने की समयसीमा पर कहा कि यह उनका सुझाव है। इसका अर्थ यह नहीं है कि हम सब कुछ मंजूर कर लेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं हमेशा से प्रधानमंत्री के पद को लोकपाल के दायरे में लाने के पक्ष में था लेकिन मेरे अनुभवी सहयोगियों ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है। पीएम ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने हजारे से अनशन समाप्त करने की अपील की है हमें उम्मीद है कि वह सर्वसम्मत भावना का ख्याल रखेंगे।  

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