तीनों मांगों को लेकर प्रस्ताव लाने पर राजी. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 27 अगस्त 2011

तीनों मांगों को लेकर प्रस्ताव लाने पर राजी.

तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच अब सरकार अन्ना हजारे की तीनों मांगों को लेकर प्रस्ताव लाने पर राजी हो गई है, जिस पर वोटिंग भी होगी। प्रस्ताव पर मत विभाजन नहीं होगा, बल्कि ध्वनिमत से पारित होगा। सूत्र ने यह भी बताया कि संसद में प्रस्ताव पारित होने के बाद विलासराव देशमुख इसके बारे में औपचारिक रूप से अन्ना हजारे को सूचित करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक पीएम के कमरे में हुई आपात बैठक के बाद इस पर फैसला लिया गया। सरकार ने यह फैसला तब लिया जब अन्ना की टीम वोटिंग पर अड़ गई। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने भी यह साफ कर दिया कि सरकार जिस रूप में भी प्रस्ताव लेकर आए, वह दोनों सदनों में उसका समर्थन करेगी।
उधर, टीम अन्ना ने भी सकारात्मक संकेत दिए हैं। टीम अन्ना ने कहा कि संसद का प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित करना स्वागत योग्य कदम है। साथ ही अन्ना टीम ने कहा कि अनशन तोड़ने का फैसला खुद अन्ना हजारे करेंगे।

टीम अन्ना का मानना है कि प्रस्ताव के ध्वनिमत से पारित होने के बाद अन्ना हजारे अनशन तोड़ सकते हैं हालांकि अंतिम फैसला वह खुद लेंगे। इससे पहले अन्ना हजारे की टीम ने साफ कर दिया कि वे संसद में केवल चर्चा से संतुष्ट नहीं है। प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यदि इन मुद्दों पर मतदान के जरिए प्रस्ताव पारित नहीं किया जाता है तो अनशन तोड़ने के बारे में फैसला अन्ना हजारे खुद लेंगे।

प्रभावी लोकपाल की मांग को लेकर अनशन पर बैठे अन्ना हजारे के इन दो प्रमुख सहयोगियों शनिवार को कहा कि शुक्रवार शाम को उन्हें बताया कि गया था सरकार संसद में लोकपाल के मसले पर चर्चा के बाद अन्ना के तीनों प्रमुख मांगों को लेकर मतदान करवाएगी, लेकिन अब कहा जा रहा है कि ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में अन्ना ने तीनों प्रमुख मुद्दों- लोकपाल की तरह राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति, इसके दायरे में सभी कर्मचारियों को लाने और नागरिक चार्टर पर संसद में मतदान के जरिए एक प्रस्ताव पारित कराने को कहा था। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर संसद में केवल चर्चा से वे संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके सांसद इन मुद्दों पर क्या रुख अपनाते हैं इसलिए मतदान जरूरी है। भूषण ने यह भी कहा कि यदि इन मुद्दों पर मतदान के जरिए प्रस्ताव पारित नहीं किया जाता है तो अनशन तोड़ने के बारे में फैसला अन्ना हजारे खुद लेंगे।
इससे पहले खबरें आ रही थी कि केन्द्र सरकार संसद के दोनों सदनों द्वारा लोकपाल के मुद्दे पर पारित किए जाने वाले प्रस्ताव के मसौदे को तैयार करने में जुटी है, ताकि इस मुद्दे पर बने गतिरोध के साथ अन्ना हजारे का 12 दिन से चला आ रहा अनशन समाप्त हो सके।

माना जा रहा था कि वित्त मंत्री तथा लोकसभा में सदन के नेता प्रणव मुखर्जी ने  राज्यसभा में पक्ष के नेता अरुण जेटली से मुलाकात कर इस प्रस्ताव की विषय वस्तु पर चर्चा की। यह प्रस्ताव सिफारिश करेगा कि सरकार के लोकपाल विधेयक पर पहले से ही विचार कर रही संसद की स्थायी समिति इन मुद्दों पर भी विचार करे। सूत्रों के मुताबिक अतिरिक्त सचिव स्तर के विधि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को मंत्रियों की उस बैठक में बुलाया गया जहां प्रस्ताव का मसौदा तैयार हो रहा था। सूत्रों ने बताया कि जेटली ने मुखर्जी से कहा कि राज्यों में लोकायुक्तों के गठन संबंधी कानून बनाना संवैधानिक रूप से संसद के लिए संभव नहीं होगा। ऐसे में संसद हर राज्य में इस संबंध में कोई समर्थकारी प्रावधान कर सकती है। नेशनल कांफ्रेंस से वरिष्ठ मंत्री फारूक अब्दुल्ला और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार ने भी मुखर्जी के साथ बैठक में हिस्सा लिया।

 सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के सहयोगियों ने शनिवार को केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से मुलाकात की। अन्ना के एक सहयोगी ने कहा, ''खुर्शीद ने उन्हें बुलाया था।'' खुर्शीद से मुलाकात करने वालों में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, प्रशांत भूषण और मेधा पाटकर शामिल हैं। इसके साथ ही अन्ना का अनशन टूटने की सम्भावना बनी। 'आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने अन्ना हजारे से आग्रह किया है कि उन्हें शाम छह बजे से पहले अनशन तोड़ देना चाहिए। जबकि कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त एन. संतोष हेगड़े ने उम्मीद जाहिर की है कि शाम तक लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर कोई समाधान निकल आएगा।

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