चीन के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के उद्गम स्थल का पता लगा लिया है। ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने समेत तिब्बत में कई जल परियोजनाओं को अंजाम देने के लिए तैयार बैठे चीनी वैज्ञानिकों ने इन नदियों के मार्ग की लंबाई का व्यापक उपग्रह अध्ययन पूरा करने की बात भी कही है। चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) के वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया है।
ब्रह्मपुत्र के मार्ग का उपग्रह से ली गई तस्वीरों का विश्लेषण कर वैज्ञानिकों ने उसके पूरे मार्ग का अध्ययन किया। इसी तरह भारत-पाकिस्तान से बहने वाली सिंधु और म्यांमार के रास्ते बहने वाली सालवीन और इर्रावडी के बहाव के बारे में भी पूरा विवरण जुटाया गया। सीएएस की इकाई इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशंस के शोधकर्ता लियू शाओचुआंग ने शिन्हुआ संवाद समिति को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इससे पहले इन चार नदियों के उद्गम के संबंध में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं थी। इतना ही नहीं इनकी लंबाई और क्षेत्र को लेकर भी भ्रम बना हुआ था। इस कार्य में प्राकृतिक परिस्थितियों से जुड़ी कई बाधाएं होने और सर्वेक्षण की तकनीक सीमित होने के कारण भ्रम की स्थिति बनी हुई थी।
चीन वैज्ञानिकों ने अब इससे पार पा लिया है। लियू ने अपने विश्लेषण के आधार पर बताया कि ब्रह्मपुत्र का उद्गम स्थल तिब्बत के बुरांग काउंटी स्थित हिमालय पर्वत के उत्तरी क्षेत्र में स्थित आंग्सी ग्लेशियर से है। भूगोलविद स्वामी प्रणवानंद ने 1930 के दशक में इस नदी का उद्गम स्थल चीमा-युंगडुंग ग्लेशियर को बताया था। नए अध्ययन के मुताबि ब्रह्मपुत्र जिसे तिब्बती भाषा में यारलुंगजांग भी कहते हैं 3,848 किलोमीटर लंबी है। इसका क्षेत्रफल 7,12,035 वर्ग किलोमीटर है। इससे पहले के दस्तावेजों में नदी की लंबाई 2,900 से 3,350 किलोमीटर और क्षेत्रफल 520,000 से 17 लाख 30 हजार वर्ग किलोमीटर बताया गया था।
लियू के अनुसार सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत के गेजी काउंटी में कैलाश के उत्तर-पूर्व से होता है। ताजा अध्ययन के अनुसार सिंधु नदी 3,600 किलोमीटर लंबी है। इसका क्षेत्रफल 10 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है। पहले इस नदी की लंबाई 2,900 से 3,200 किलोमीटर मानी जाती थी। सिंधु नदी भारत से होकर गुजरती है। इसका मुख्य इस्तेमाल भारत-पाक जल संधि के तहत पाकिस्तान करता है। ताजा आंकड़ों का उपयोग भारत और चीन के बीच विशेषज्ञ स्तर की पांचवीं बातचीत में होने की उम्मीद है। यह बातचीत ब्रह्मपुत्र से जुड़े आंकड़ों के शोध और बाढ़ प्रबंधन के लिए की जानी है। गौरतलब है कि चीन ने पिछले दिनों तिब्बत में लगभग एक अरब 80 करोड़ डॉलर की लागत से जल परियोजनाएं शुरू करने की घोषणा की थी। नए अध्ययन से इन परियोजनाओं को भी दिशा मिलने की उम्मीद है।

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