प्रभावी लोकपाल विधेयक को लेकर सरकार और टीम अन्ना के बीच मंगलवार देर रात हुई बातचीत में तीन मुद्दों को छोड़कर अन्य मुद्दों पर सहमति के संकेत तो मिले लेकिन इस बारे में कोई भी अंतिम निर्णय बुधवार शाम या उसके बाद ही आएगा। ऐसे आसार हैं कि अन्ना हजारे का अनशन खत्म करने के लिए अन्य विवादास्पद मुद्दों पर जल्द ही सहमति बनाई जा सकती है।
अन्ना हजारे पक्ष व सरकारी नुमाइंदों के बीच बातचीत के बाद राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) की देर रात हुई बैठक के बाद सूत्रों ने बताया कि जिन मामलों को लेकर अभी भी गतिरोध कायम है उनके बारे में सर्वदलीय बैठक के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकेगा। बैठक में शामिल ज्यादातर केंद्रीय मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि रामलीला मैदान में किसी भी प्रकार के बल का उपयोग नहीं किया जाएगा। इस बात पर भी सहमति बनने के संकेत मिले कि यदि जरुरत पड़े तो संसद के चालू मानसून सत्र को कुछ एक दिनों के लिए बढ़ाया भी जा सकता है।
सीसीपीए की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम, रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल भी शामिल थे। सरकार लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री को लाने के लिए तैयार है। मतभेद के मुद्दों पर अपनी राय स्पष्ट करने के लिए सरकार ने अन्ना हजारे पक्ष से और समय की मांग की है।
सरकार की ओर से वार्ताकार के रूप में नियुक्त केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने टीम अन्ना के सदस्यों के साथ बातचीत के बाद पत्रकारों से देर रात कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह गतिरोध का समाधान निकालने में सक्षम होंगे। नार्थ ब्लॉक में लगभग तीन घंटे से अधिक समय तक मुखर्जी और गांधीवादी अन्ना हजारे के सहयोगियों प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल और किरन बेदी के बीच चली बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि कुछ मुद्दों पर मतभेद अभी भी कायम हैं।
मुखर्जी से बातचीत के बाद टीम अन्ना के सदस्यों ने बताया कि तीन मुद्दों पर सरकार के साथ असहमति है। इनमें लोकपाल के दायरे में सरकारी कर्मचारियों को लाना, सारे राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति और हर विभाग द्वारा अपना सिटिजन चार्टर तैयार करना शामिल है। अन्ना हजारे के सहयोगियों प्रशांत भूषण, किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल के साथ बातचीत के बाद मुखर्जी ने नार्थ ब्लॉक कार्यालय के बाहर संवाददाताओं से कहा, "इससे आगे की बातचीत बुधवार को होगी। इसी दिन सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। मुझे उम्मीद है कि हम समाधान निकालने में सक्षम होंगे।" केजरीवाल ने कहा कि सरकार या तो अपने लोकपाल विधेयक को वापस ले ले अथवा उसे गुजर जाने दे। उन्होंने कहा कि सामाजिक संगठन अपने जन लोकपाल विधेयक में थोड़ा संशोधन के लिए तैयार हैं।
मुखर्जी सामाजिक संगठन के सदस्यों के साथ बैठक करने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने पहुंचे। उन्होंने इसी समय गतिरोध तोड़ने के लिए राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाई। बहरहाल, इस वार्ता की विस्तृत जानकारी सामने नहीं आ पाई है। अन्ना हजारे की ओर से वार्ता के लिए मंगलवार को अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरण बेदी को नियुक्त किया गया था, वहीं सरकार की ओर से केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को आगे किया गया। मुखर्जी के साथ बातचीत के बाद रामलीला मैदान पहुंचे प्रशांत भूषण ने कहा, "सरकार को इस बात पर भी कोई आपत्ति नहीं है कि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) नहीं करेगी बल्कि लोकपाल करेगा।" उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को लाकपाल के दायरे में लाने को लेकर भी उन्हें (सरकार) आपत्ति नहीं है। रही बात सांसदों के भ्रष्टाचार की तो उन्होंने संविधान की धारा 105 का हवाला देते हुए कहा कि सांसदों की जांच नहीं की जा सकती। क्योंकि उन्हें पूरी छूट है। हमने कहा कि तकनीकी तौर पर सांसदों की जांच नहीं की जा सकती लेकिन आप चाहें तो कानून में इसका जिक्र कर सकते हैं कि सांसदों के भ्रष्टाचार की जांच नियम 105 के अधीन ही होगी। ऐसा होता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं होगी।"
भूषण ने कहा, "ऐसा लग रहा है कि सहमति बन सकती है। सरकारी विधेयक वापस ले लिया जाए और हमारी बातों को उसमें शामिल किया जाएगा तो हम अन्ना से अपील करेंगे कि वे अपना अनशन तोड़ दें। अगर वह इसके बावजूद भी तैयार नहीं होते तो हम उनसे कहेंगे कि कम से डाक्टरों की सलाह के मुताबिक वह ड्रिप लेना आरम्भ कर दें।" किरण बेदी ने कहा, "बातचीत के क्रम में यह बात भी सामने आई कि सरकार को अन्ना की सेहत को लेकर बहुत चिता है। सरकार जनता की आवाज को समझ रही है। यह उनकी तपस्या का ही परिणाम है कि सरकार कम से कम इतनी बातों को मानने को तैयार हुई।" बातचीत के लिए सरकार की ओर से नियुक्त केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के साथ नार्थ ब्लॉक में अन्ना हजारे के प्रतिनिधियों के बीच यह बातचीत हुई।
बातचीत के बाद सामाजिक संगठन के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने हालांकि कहा था, "अभी इस बातचीत में प्रभावी लोकपाल विधेयक को लेकर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। बातचीत अच्छे वातावरण में हुई। दोनों पक्ष मामले पर सहमति बनाने के लिए सकारात्मक हैं। मुझे लगता है कि अंतिम नतीजे तक पहुंचने से पहले हमें दो-एक और बैठकें करनी होंगी।"
वहीं, प्रशांत भूषण ने कहा था, "बातचीत आगे बढ़ी है लेकिन कुछ ठोस निकलकर नहीं आया है। सरकार की ओर से हमसे आग्रह किया गया है कि हम अन्ना हजारे से अनशन तोड़ने के लिए कहें, लेकिन आज जो बातचीत हुई उसमें ऐसा कुछ नहीं निकला कि हम अन्नाजी से अनशन तोड़ने को कहें।"mसामाजिक संगठन की सदस्य किरन बेदी ने कहा था, "प्रभावी विधेयक को लेकर सरकार के साथ जिन मुद्दों पर सहमति बनती है उसे लिखित तौर पर लिए बगैर हम अन्ना हजारे को अनशन तोड़ने के लिए नहीं कह सकते। सरकार को अपनी सहमति को बतौर लिखकर देना होगा।"
रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे गांधीवादी अन्ना हजारे ने अपनी तबीयत बिगड़ने पर ग्लूकोज चढ़ाए जाने से इंकार कर दिया। उन्होंने अपने हजारों समर्थकों से कहा कि यदि सरकार उन्हें जबरन अस्पताल ले जाने की कोशिश करे तो वे उनका विरोध करें। अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा कमजोर दिख रहे सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने अनशन के आठवें दिन यह भी कहा कि उन्हें मृत्यु से डर नहीं लगता।
अन्ना हजारे ने कहा कि डॉक्टरों ने उनसे बताया है कि उनकी किडनी में तकलीफ है और उन्हें ग्लूकोज चढ़ाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा "मैंने अपनी अंतरात्मा से बात की..मेरी अंतरात्मा ग्लूकोज चढ़ाए जाने की इजाजत नहीं देती। मेरी मौत से कोई फर्क नहीं पड़ता।"

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