विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने लोकसभा में लोकपाल पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए अन्ना हजारे द्वारा रखी गई तीनों मांगों को स्वीकार करते हुए संसदीय विशेषाधिकारों को कायम रखने की बात कही।
सुषमा स्वराज ने सीबीआई के भ्रष्टाचार विरोधी विंग को भी लोकपाल के दायरे में लाने में अपनी सहमति जताई। लेकिन इससे अधिक उन्होंने सीबीआई को स्वायत्त करने की अपनी मांग फिर दोहराई। उन्होंने सरकार द्वारा सीबीआई के दुरुपयोग पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि इसे रोकने के लिए जरूरी है कि इसे स्वायत्त बना देना चाहिए। उन्होंने सीबीआई के वर्तमान स्वरूप को कांग्रेस बचाओ इंस्टीट्यूशन करार दिया। इसके अलावा उन्होंने संसद के भीतर सांसदों के विशेषाधिकारों को लोकपाल के दायरे में लाने पर अपनी असहमति जाहिर की। उन्होंने कहा कि इससे सदन की सर्वोच्चता खंडित होगी। इसी तरह उन्होंने न्यायपालिका को भी इसके दायरे में लाने की बजाय एक अलग न्यायिक आयोग बनाने की बात कही।
उन्होंने संसद में बोलते हुए लोकपाल विधेयक में सिटिजन चार्टर, निचले स्तर के अधिकारी और राज्यों में लाकायुक्त पर अपनी सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि आज तीन राज्यों में सिटिजन चार्टर लागू है, और इसको लागू करने में सरकार को भी कोई मुश्किल नहीं होनी चाहिए। निचले स्तर के अधिकारियों को लेकर उन्होंन कहा कि उसी के भ्रष्टाचार से आम जनता त्रस्त है, और अगर उनको लोकपाल बिल में शामिल नहीं किया जाएगा तो इससे जनता ठगा हुआ महसूस करेगी। इसलिए उन्होंने अपील की कि इसे भी लोकपाल बिल का हिस्सा बनाया जाए।
राज्यों मे लोकायुक्त के मामले में भी उन्होंने अन्ना की मांग से सहमति जताई। उन्होंने संवैधानिक प्रावधानों की चर्चा करते हुए अनुच्छेद-252 की चर्चा की औऱ कहा कि उसके तहत केंद्र सरकार एक कानून बना सकती है और यह असंवैधानिक भी नहीं होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री के पद को भी कुछ अपवादों के साथ लोकपाल के तहत लाने में अपनी सहमति जताई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और लोक व्यवस्था ( पब्लिक ऑर्डर) को अपवाद में रखते हुए पीएम के पद को भी इसके तहत लाना चाहिए।
सुषमा स्वराज ने सीबीआई के भ्रष्टाचार विरोधी विंग को भी लोकपाल के दायरे में लाने में अपनी सहमति जताई। लेकिन इससे अधिक उन्होंने सीबीआई को स्वायत्त करने की अपनी मांग फिर दोहराई। उन्होंने सरकार द्वारा सीबीआई के दुरुपयोग पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि इसे रोकने के लिए जरूरी है कि इसे स्वायत्त बना देना चाहिए। उन्होंने सीबीआई के वर्तमान स्वरूप को कांग्रेस बचाओ इंस्टीट्यूशन करार दिया। इसके अलावा उन्होंने संसद के भीतर सांसदों के विशेषाधिकारों को लोकपाल के दायरे में लाने पर अपनी असहमति जाहिर की। उन्होंने कहा कि इससे सदन की सर्वोच्चता खंडित होगी। इसी तरह उन्होंने न्यायपालिका को भी इसके दायरे में लाने की बजाय एक अलग न्यायिक आयोग बनाने की बात कही।
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