दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी की ओर से मुसलमानों को अन्ना हजारे के आंदोलन से दूर रहने की सलाह देने वाले कथित बयान से मुस्लिम संगठनों और धर्मगुरुओं ने असहमति जताई है। बुखारी ने एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक से बातचीत में कहा है, अन्ना के आंदोलन में भारत माता की जय और वंदे मातरम जैसे नारे लग रहे हैं। यह इस्लाम के खिलाफ है क्योंकि यह मजहब किसी देश या भूमि की इबादत करने की इजाजत नहीं देता। ऐसे में मुसलमानों को इस आंदोलन से दूर रहना चाहिए।
दिल्ली की ऐतिहासिक फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने बातचीत में बुखारी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान से नाइत्तेफाकी जताई। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन पूरे देश का मामला है और मुसलमान भी इसी देश का हिस्सा है। ऐसे में मुसलमानों का इस आंदोलन में शामिल होना वाजिब है। मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि इस आंदोलन को इस्लाम से नहीं जोड़ा जा सकता। इसमें शामिल होने वाले लोग अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं। इसके इस्लामी और गैर-इस्लामी होने की बात कहां से उठ गई। भ्रष्टाचार एक समाजी मसला है और इसके खिलाफ आंदोलन को मजहब से नहीं जोड़ा जा सकता।
देश की एक प्रमुख इस्लामी संस्था जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी इस बात से असहमति जताई है कि आंदोलन में मुसलमानों को शामिल नहीं होना चाहिए। संस्था के सचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा, हम बुखारी साहब के बयान पर कुछ नहीं कहेंगे। परंतु हम मुसलमानों से यह अपील नहीं कर सकते कि इस आंदोलन में वे शामिल न हों।
इंजीनियर ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर हम अन्ना के आंदोलन के साथ हैं। अन्ना की छवि साफ है और ऐसे में हमें यह आंदोलन सही मालूम पड़ता है। इस आंदोलन की कुछ बातों को लेकर हमें ऐतराज है, लेकिन हम इसका विरोध नहीं करेंगे। हमारी भी यही मांग है कि देश में एक सशक्त लोकपाल विधेयक आना चाहिए। ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रमुख शाइस्ता अंबर ने इस बयान को लेकर खुलकर बुखारी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मुझे समक्ष नहीं आता कि बुखारी यह बयान क्यों दिया। उनके इस बयान से असमंजस की स्थिति पैदा होगी। उनका बयान पूरी तरह से अनुचित है।
शाइस्ता ने कहा कि इस आंदोलन में मुसलमान शामिल हैं और उन्हें आगे भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। भ्रष्टाचार की समस्या से सब परेशान है। इसका खात्मा सभी समुदायों के हित में है। इस आंदोलन में मुसलमानों से शामिल होने की अपील करने वाले गैर सरकारी संगठन रियल कॉज के प्रमुख कामरान सिद्दीकी ने कहा कि बुखारी साहब का ऐसे बेतुके बयान देने का इतिहास है। उनके इस बयान की मैं निंदा करता हूं। हमारी मुसलमानों से यही अपील है कि वे इस आंदोलन में शामिल हों। वैसे पहले से ही बड़ी संख्या में मुसलमान इसमें शामिल हो रहे हैं।

1 टिप्पणी:
बुख़ारी साहब का बयान इस्लाम के खि़लाफ़ है
दिल्ली का बुख़ारी ख़ानदान जामा मस्जिद में नमाज़ पढ़ाता है। नमाज़ अदा करना अच्छी बात है लेकिन नमाज़ सिखाती है ख़ुदा के सामने झुक जाना और लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना।
पहले सीनियर बुख़ारी और अब उनके सुपुत्र जी ऐसी बातें कहते हैं जिनसे लोग अगर पहले से भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हों तो वे आपस में ही सिर टकराने लगें। इस्लाम के मर्कज़ मस्जिद से जुड़े होने के बाद लोग उनकी बात को भी इस्लामी ही समझने लगते हैं जबकि उनकी बात इस्लाम की शिक्षा के सरासर खि़लाफ़ है और ऐसा वह निजी हित के लिए करते हैं। यह पहले से ही हरेक उस आदमी को पता है जो इस्लाम को जानता है।
लोगों को इस्लाम का पता हो तो इस तरह के भटके हुए लोग क़ौम और बिरादराने वतन को गुमराह नहीं कर पाएंगे।
अन्ना एक अच्छी मुहिम लेकर चल रहे हैं और हम उनके साथ हैं। हम चाहते हैं कि परिवर्तन चाहे कितना ही छोटा क्यों न हो लेकिन होना चाहिए।
हम कितनी ही कम देर के लिए क्यों न सही लेकिन मिलकर साथ चलना चाहिए।
हम सबका भला इसी में है और जो लोग इसे होते नहीं देखना चाहते वे न हिंदुओं का भला चाहते हैं और न ही मुसलमानों का।
इस तरह के मौक़ों पर ही यह बात पता चलती है कि धर्म की गद्दी पर वे लोग विराजमान हैं जो हमारे सांसदों की ही तरह भ्रष्ट हैं। आश्रमों के साथ मस्जिद और मदरसों में भी भ्रष्टाचार फैलाकर ये लोग बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं।
ये सारे भ्रष्टाचारी एक दूसरे के सगे हैं और एक दूसरे को मदद भी देते हैं।
अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पर दिए गए अहमद बुख़ारी साहब के बयान से यही बात ज़ाहिर होती है।
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