फ्रांस के मार्कूल परमाणु संयंत्र में धमाका. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


सोमवार, 12 सितंबर 2011

फ्रांस के मार्कूल परमाणु संयंत्र में धमाका.

दक्षिणी फ्रांस के मार्कूल परमाणु संयंत्र में धमाके के बाद रेडियोएक्टिव पदार्थ के लीक होने की आशंका बढ़ गई है। इस धमाके में 1 कर्मचारी की मौत हो गई और 4 लोग घायल हो गए हैं। धमाके की चपेट में आए लोगों को अस्पताल में दाखिल कराया गया है। ब्लास्ट से रेडिएशन फैलने का खतरा पैदा हो गया है, हालांकि अभी तक इसकी कोई खबर नहीं है। जानकारी के मुताबिक ब्लास्ट प्लांट के ओवन में हुआ, जिसकी चपेट में वहां के कर्मचारी आ गए। मार्कूल प्लांट फ्रांस के दक्षिण में लैंगडॉक रूजीलन इलाके में भूमध्य सागर के नजदीक मौजूद है।


हादसा कचरा स्टोर करने वाली जगह पर हुआ। प्लांट के जिस हिस्स में विस्फोट हुआ उसमें फ्रांस की ईडीएफ इलेक्ट्रिसिटी कंपनी की सहायक कंपनी परमाणु कचरे को ऑपरेट करती है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अधिकारी के मुताबिक वे इस घटना को लेकर फ्रांसीसी एजेंसियों के संपर्क में हैं। नीम्स शहर के नजदीक मार्कूल परमाणु संयंत्र के अवन में हुआ धमाका, कितना गंभीर है अभी साफ नहीं है। इस संयंत्र का इस्तेमाल फ्रांस की कंपनी अरेवा एमओएक्स ईंधन के उत्पादन के लिए करती है।


एमओएक्स ईंधन परमाणु हथियारों से प्लूटोनियम की रीसाइकिलिंग करता है। संयंत्र के सेंट्रेको न्यूक्लियर वेस्ट ट्रीटमेंट सेंटर में यह धमाका हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि अभी संयंत्र से बाहर किसी तरह का खतरा नहीं है। पिछले साल दिसंबर में हुई फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच परमाणु संयंत्रों को स्थापित करने को लेकर सहमति बनी थी। इस समझौते के तहत भारत में बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अरेवा एसए को भारत में दो परमाणु संयंत्र बनाने का ठेका दिया गया था। यह समझौता 9.3 अरब अमेरिकी डॉलर में हुआ था।

कोई टिप्पणी नहीं: