गांधीवादी अन्ना हजारे ने मांग की है कि संसद या विधानसभा में पैसे लेकर वोट देने वाले जनप्रतिनिधि को फांसी दी जाए। रालेगण सिद्धि के पद्मावती मंदिर में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने यह टिप्पणी की। लोकपाल के मुद्दे पर अनशन कर सरकार को झुकाने वाले हजारे ने कहा कि संसद और विधानसभाओं के उन भ्रष्ट सदस्यों को दंडित करने के लिए भारत को कठोर कानूनों की जरूरत है जो सवाल पूछने या सदन में अपने कर्तव्य निर्वहन के लिए रिश्वत लेते हैं।
अमर सिंह की गिरफ्तारी के बारे में हजारे ने कहा कि यह दर्शाता है कि निहित स्वार्थ रखने वाले कुछ लोग हमारे लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में प्रवेश कर गए हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर केंद्र सरकार इस मामले की ईमानदारी से जांच करे तो इससे हमारी राजनीतिक व्यवस्था के मूल्यों में आई कमी की वास्तविक तस्वीर सामने आ जायेगी।’ उन्होंने कहा कि उनके किसी भी राजनीतिक दल या आरएसएस जैसे संगठनों से संबंध नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘जनलोकपाल आंदोलन में शामिल हर एक व्यक्ति में भारत को भ्रष्टाचार मुक्त और समस्याओं से मुक्त बनाने का जज्बा है।’
नोट के बदले वोट कांड में मंगलवार को अमर सिंह व दो पूर्व पार्टी सांसदों की गिरफ्तारी के बाद भाजपा इस मुद्दे को लेकर एक बार फिर आक्रामक हो उठी है। बुधवार को पार्टी संसद में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है और उसके निशाने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह होंगे।भाजपा महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सिंह की गिरफ्तारी सही दिशा में लिया गया कदम है मगर इस बात की जांच भी होना जरूरी है कि सांसदों का वोट खरीदने में असली लाभार्थी कौन थे। प्रसाद ने हैरानी जताई कि एक तरफ केंद्र व्हिसल ब्लोअर यानी भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों के संरक्षण के लिए कानून बनाने जा रही है तो दूसरी ओर ऐसा करने वालों को जेल भेजा जा रहा है। पार्टी की दलील है कि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन हैं और पुलिस की छानबीन उससे सीधे प्रभावित नजर आती है।
सूत्रों ने बताया कि बुधवार को संसद में हंगामा तय है क्योंकि एक तरफ गुजरात के लोकायुक्त के मामले पर भाजपा अपने कड़े रुख पर कायम है तो दूसरी ओर नोट के बदले वोट कांड से उसे और ताकत मिल गई है। संसद के बाहर के कई लोग भी मानते हैं कि वोट के बदले नोट कांड सरकार के लिए अन्ना हजारे के आंदोलन से भी बड़ी मुसीबत बनेगा। पैट्रियट फोरम के सदस्य रणविजय शंकर के मुताबिक, कई लोग ऐसा मानते हैं कि 2008 में हुए कैश फॉर वोट कांड मौजूदा यूपीए सरकार के लिए अन्ना हजारे के आंदोलन से ज़्यादा बड़ा खतरा हो सकता है। हजारे के आंदोलन से यूपीए की सरकार पर तुरंत कोई खतरा नहीं है। अगर इस आंदोलन कोई असर भी होगा तो वह अगले लोकसभा चुनाव में होगा। लेकिन अमर सिंह और बीजेपी के दो पूर्व सांसदों की गिरफ्तारी मौजूदा केंद्र सरकार पर सीधे तौर पर खतरा है।

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