गुजरात में 2002 में हुए दंगों के दौरान पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी हत्याकांड मामले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फिलहाल राहत मिलती दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में निचली अदालत फैसला करेगी। सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुलबर्ग सोसायटी कांड की रिपोर्ट मजिस्ट्रेट के पास भेजी दी और मजिस्ट्रेट ही इस रिपोर्ट पर फैसला लेंगे। यह रिपोर्ट एसआईटी जांच पर कोर्ट के सलाहकार की ओर से तैयार की गई थी।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीके जैन, पी सतशिवम एवं आफताब आलम की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की है। पीठ ने अदालत मित्र राजू रामचंद्रन और विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट पर संज्ञान के बाद व्यवस्था दी है।
जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने नरेन्द्र मोदी सहित 62 महानुभावों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को आरोपों की जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी एसआईटी के समक्ष पेश हो चुके हैं। हालांकि एसआईटी ने मुख्यमंत्री को क्लीनचिट दे दी थी। इस आशय की खबरों के बाद पांच मई को अदालत ने अदालत मित्र को स्वतंत्र रूप से निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा था। साथ ही रिपोर्ट की छायाप्रति देने की गुजरात सरकार की मांग खारिज कर दी थी। इसी साल अप्रैल में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी। गोधरा कांड के बाद राज्य में भड़के सांप्रदायिक दंगों के समय पूर्वी अहमदाबाद में हुए गुलबर्ग कांड में पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित कई लोग मारे गए थे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जाकिया जाफरी और उनकी बेटी ने कहा कि अदालत के फैसले से उन्हें निराशा हुई है।
वहीं मोदी के वकील यतिन ओझा ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले को नरेंद्र मोदी खेमा जीत मान रहा है। दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ इस फैसले को मोदी के लिए पूरी तरह राहत नहीं मान रही हैं और उनका कहना है कि न्याय की ओर एक बड़ा कदम है। बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद बलबीर पुंज का कहना है कि पार्टी इस के मामले के चलते थोड़ी लाचार नजर आ रही थी लेकिन अब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
रविवार को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से पूर्व गृह राज्यमंत्री अमित शाह की भेंट के बाद यहां अटकलों का बाजार गर्म है। शाह चर्चित सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ प्रकरण में सशर्त जमानत पर हैं और दिल्ली में रहते हैं। वे पार्टी कार्यालय में नेताओं से मेलजोल करते देखे जाते हैं किन्तु रविवार को उनके पार्टी अध्यक्ष से मिलने को सोमवार को संभावित फैसले से जोड़ कर देखा जा रहा है। समझा जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान फैसले के मद्देनजर रणनीति पर चर्चा की गई। सूत्रों के अनुसार फैसले के बाद मोदी अथवा राज्य सरकार के लिए परेशान करने वाली तस्वीर बनने की स्थिति में हालात से निपटने के बारे में रणनीति पर चर्चा की गई है। सामान्यत: रविवार को छुट्टी के मूड में रहने वाले विश्वस्त लोग और पार्टी नेताओं का दिन नकारात्मक-सकारात्मक पहलुओं पर मथापच्ची में बीता।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें