तमिलनाडु के परामाकुडी जिले में पथराव पर उतारू भीड़ पर की गयी पुलिस गोलीबारी में घायल हुए दो और लोगों के अस्पताल में दम तोड़ने के बाद इस घटना में मरने वालों की संख्या सात तक पहुंच गयी है।
दलितों के नेता जॉन पांडियन को गिरफ्तार करने के बाद फैली हिंसा में शामिल लोगों पर पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी थी। पुलिस ने इसकी जानकारी दी। बीती रात अस्पताल में दम तोड़ने वाले दो लोगों की पहचान तिरपुकानी और वेल्लईचामी के रूप में की गयी है। इस घटना के मद्देनजर अधिकारियों ने संवेदनशील जिलों रामनाथपुरम, मदुरै, शिवगंगा तथा विरूदनगर के ग्रामीण इलाकों में बस सेवा को एहतियातन बंद कर दिया है।
पुलिस ने बताया कि तिरूचिरापल्ली से अतिरिक्त पुलिस बलों को बुलाया गया है। रविवार को पांडियन के तूतिकोरिन में गिरफ्तार किए जाने की खबर फैलने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। पांडियन दलित नेता इम्नुएल सेकर की बरसी पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए परामाकुडी जा रहे थे। पुलिस ने परामाकुडी में भीड़ पर गोलीबारी करने से पूर्व आंसू गैस के गोले छोड़े थे और लाठीचार्ज किया था। भीड़ द्वारा पथराव किए जाने के कारण डीआईजी संदीप मित्तल तथा पुलिस अधीक्षक सेंथिल वेलान तथा पुलिस उपाधीक्षक गणेशन समेत कई पुलिस अधिकारी तथा लोग घायल हो गए थे। हिंसा में 15 से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।
पुलिस ने बताया कि तिरूमंगलम तथा परामाकुडी में हिंसा में शामिल होने के कारण 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। स्थानीय दलित नेताओं ने दलित नेता को श्रद्धांजलि देने के लिए आने वाले लोगों को व्यवस्थित करने के लिए उचित कदम नहीं उठाने के लिए पुलिस को दोषी ठहराया। हालांकि पुलिस गोलीबारी को सही ठहराते हुए मुख्यमंत्री जयललिता ने कुछ लोगों पर अपने राजनीतिक लाभ के लिए कानून व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने का दोषी ठहराया। हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को एक एक लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने की घोषणा करने वाली जयललिता ने कहा कि प्रदर्शनकारी बड़े पैमाने पर हिंसा में शामिल थे और उन्होंने पुलिस वाहनों को आग लगायी। पुलिस ने आत्मरक्षा तथा सार्वजनिक संपत्ति को बचाने के लिए गोली चलायी।

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