हिंदी के वरिष्ट साहित्यकार और व्यंगकार श्रीलाल शुक्ल का निधन हो गया है। उन्होंने लखनऊ के अस्पताल मे शुक्रवार को अंतिम सांस ली। श्रीलाल शुक्ल को कुछ ही दिनों पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था। श्रीलाल शुक्ल अपनी रचनाओं में व्यंग के लिए जाने जाते थे। उनकी रचना राग दरबारी का साहित्य जगत में खासा सम्मान है जिसे आज भी साहित्य के पाठक बड़े चाव से पढ़ते हैं।
श्रीलाल शुक्ल का जन्म उत्तर प्रदेश में सन् 1925 में हुआ था तथा उनकी प्रारम्भिक और उच्च शिक्षा भी उत्तर प्रदेश में ही हुई। उनका पहला प्रकाशित उपन्यास ‘सूनी घाटी का सूरज’ (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग ‘अंगद का पाँव’ (1958) है। आजादी के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास ‘राग दरबारी’ (1968) के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन-धारावाहिक का निर्माण भी हुआ। श्री शुक्ल को भारत सरकार ने 2008 मे पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था।
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