लोकपाल विधेयक खोखला और कमजोर:जेटली - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

लोकपाल विधेयक खोखला और कमजोर:जेटली


मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने गुरुवार को लोकपाल विधेयक को खोखला और संविधान की दृष्टि से बेहद कमजोर करार देते हुए कहा कि इसके जरिये राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण किया जा रहा है। पार्टी ने विधेयक के दायरे में निजी ट्रस्टों और गैर सरकारी संगठनों को लाये जाने का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इससे लोगों के निजी जीवन में घुसपैठ होगी। जेटली  
     
विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने लोकपाल विधेयक पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से एक खोखला लोकपाल कायम करने जा रही है। जेटली ने कहा कि लोकपाल विधेयक के जरिये केवल विपक्ष ही नहीं सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल दलों की भी परीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि देश जानना चाहता है कि सरकार क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ केवल प्रवचन ही करना चाहती है या उस पर प्रहार भी करना चाहती है।
     
लोकपाल विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि आप एक खोखला लोकपाल बनाना चाहते हैं और इस बात का भ्रम पैदा करना चाहते हैं कि आप उसे संवैधानिक दर्जा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सीबीआई को अपने पास रखकर लोकपाल को कमजोर बना रही है। आप एक खिलौना बनाना चाहते है और उसके बाद आप कह रहे हैं कि उसके पास संवैधानिक दर्जा होना चाहिए। जेटली ने निजी पक्षों को लोकपाल के दायरे में लाए जाने का कड़ा विरोध करते हुए इसे लोगों की निजता में घुसपैठ बताया। उन्होंने कहा कि इस कानून के लागू होने के बाद मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे तथा अन्य कई संगठन भी जांच के दायरे में आ गए हैं जिनका सार्वजनिक प्रतिनिधियों या सरकार से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को यदि इन संस्थानों को जांच के दायरे में लाना है तो उसे भ्रष्टाचार निरोधक कानून में उपयुक्त प्रावधान करने चाहिए न कि लोकपाल कानून में। विपक्ष के नेता ने कहा कि एक केंद्रीय कानून के जरिये राज्यों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कैसे की जा सकती है। क्या यह संवैधानिक ढांचे के साथ छेड़छाड़ नहीं है। 
    
 जेटली ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार केंद्र के पास क्यों होना चाहिए। यह अधिकार राज्यों को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कानून के जरिये सरकार ने कॉन्स्टीट्यूशनल कॉकटेल (असंबद्ध संवैधानिक प्रावधानों की खिचड़ी) बनाने की कोशिश की है। 
    
 उन्होंने कहा कि सरकार के प्रावधानों को देख कर लगता है कि वह किसी संस्था को बनाने से पहले ही उसे नष्ट करना चाहती है। उन्होंने कहा हमें गलत इतिहास स्थापित नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा हम एक नयी संस्था बनाने जा रहे हैं। यह चुनौती भरा काम है। इस संस्था की सत्यनिष्ठा पर भरोसा किया जाएगा। इसे कमजोर क्यों बनाना चाहिए। ऐसी लचीली जांच एजेंसी क्यों होना चाहिए जो लोकपाल के नहीं बल्कि सरकार के नियंत्रण में हो। इसलिए हम सरकार के लोकपाल को पारित नहीं करेंगे बलिक हमें अपने संशोधनों के साथ इसे पारित करेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: