आयकर विभाग अन्य संदिग्ध व्यक्तियों के अलावा दिल्ली व मुंबई में उन लोगों के पुराने आयकर रिटर्न की फिर से जाँच होगी जिन्होंने अपने गुप्त विदेशी बैंक खाते होने से इनकार किया है। विभाग ने विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ अपने अभियान के तहत यह फैसला किया है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने उन करदाताओं के नाम आयकर आकलन शाखा को भेजने का फैसला किया है जिन्होंने स्विस या लिकटेंस्टाईन बैंकों में अपना खाता होने से इनकार किया है। जबकि सरकार को इन लोगों के नाम मिले हैं।
सूत्रों के अनुसारआयकर विभाग ने मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु व अहमदाबाद में उन लोगों को नोटिस जारी किए थे, जिनके नाम दूसरे देशों की सरकार से मिली वर्गीकत सूची में सामने आए। इनके अनुसार इनमें से अनेक लोगों ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि विभाग को विदेश से मिली जानकारी का कोई कानूनी औचित्य नहीं है या जो नाम आया है व उनका नहीं है।
ऐसे लोगों की संख्या 70 के आसपास है। अब इनके नामों को सम्बद्ध आकलन अधिकारी के पास भेजा जाएगा जो उन साल के आयकर रिटर्न को खंगालेंगे जिनका ज्रिक विदेश से मिली वर्गीकत सूचना में है।
सूत्रों के अनुसार उल्लिखित साल के लिए करदाता की सारी आय तथा लेन-देन का इलेक्ट्रानिक्ली व मानवीय आधार पर पुन: जांच की जाएगी ताकि यह देखा जा सके कि इनकार सही है या गलत। उन्होंने बताया कि आयकर विभाग को जो सूची मिली है उसमें खाताधारक का नाम, उसके पासपोर्ट की संख्या तथा उसके गुप्त बैंक खाते में जमा कुल धन का जिक्र है। भारत सरकार को फ्रांस की सरकार से 700 से अधिक एचएसबीसी खातों के बारे में जानकारी मिली है। इस तरह के 80 मामलों में विभाग ने 438 करोड़ रुपए की अघोषित राशि का पता लगाया है और 135 करोड़ रुपए कर रूप में वसूले गए हैं। उल्लेखनीय है कि जर्मनी की सरकार ने भी पिछले साल उन कुछ भारतीयों के नाम उपलब्ध कराए थे, जिनके खाते लिकटेंस्टाईन स्थित एलजीटी बैंक में है। जर्मनी ने चोरी हो गए लगभग 1,400 बैंक खातों की जानकारी खरीदी थी और ये नाम इन्हीं में थे। वित्त मंत्रालय के अनुसार भारत को कुछ देशों से 9,900 से अधिक सूचनाएं मिली हैं जो भारतीय नागरिकों से जुड़े संदिग्ध सौदों से जुड़ी है। इनमें जांच आदि चल रही है।

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