पर्यटकीय सुविधा का विस्तार तथा पुरातात्विक संवर्धन की योजना के तहत भागलपुर स्थित विक्रमशिला के ऐतिहासिक धरोहर को राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) द्वारा प्रदान की गयी राशि राष्ट्रीय संस्कति निधि (एनसीएफ) के तहत विक्रमशिला के संवर्धन और विकास के लिए कई चरणों में खर्च होगी। अगले वर्ष फरवरी महीने से प्रथम चरण के कार्यक्रम में विक्रमशिला की ऐतिहासिक विरासत को भी सजाने संवारने का काम शुरू होगा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अपर महानिदेशक जूथिका पाटंकर ने बताया कि प्रथम चरण का काम 2012 के फरवरी के दूसरे हफ्ते में शुरू होगा। इस चरण में 50 लाख रुपये की राशि खर्च कर कहलगांव अनुमंडल स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पुरातात्विक विरासत केंद्र में पर्यटकीय सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
वर्ष 2009 में एनटीपीसी, एएसआई और एनसीएफ के बीच हुए त्रिपक्षीय समक्षौते के तहत करोड़ों रुपये की लागत से विक्रमशिला की विरासत के संरक्षण, संवर्धन और पर्यटकीय सुविधाओं का निर्णय किया गया था। पाटंकर ने बताया कि त्रिपक्षीय समक्षौते के तहत एनसीएफ की करोड़ों की राशि एएसआई के कोष से अलग होगी। प्रथम चरण में अधिग्रहित परिसर में यात्री शेड, पाथवे और शौर शौचालयों का निर्माण होगा।
एएसआई विक्रमशिला की विरासत का संरक्षण और संवर्धन करती है। आठवीं सदी के इस वैश्विक धरोहर स्थल में अब भी कई काम किये जाने हैं। राष्ट्रीय संस्कति निधि एक राष्ट्रीय ट्रस्ट है, जिसके अध्यक्ष केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कति मंत्री होते हैं। यह देश के ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण, परिवर्धन और उन्नयन के लिए धन उपलब्ध कराता है।
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