लोकसभा से पास होने के बाद लोकपाल बिल कानून बनने की अगली सीढ़ी चढ़ रहा है। राज्यसभा में आज लोकपाल बिल पर चर्चा होगी। लोकसभा ने लोकपाल बिल पास तो कर दिया था लेकिन बिल को संवैधानिक दर्जा देने वाला संविधान संशोधन बिल गिर गया था। लोकसभा में इस शर्मनाक हार के बाद सरकार के लिए लोकपाल बिल को राज्यसभा से पारित कराना मुश्किल हो चुका है।
राज्यसभा में सरकार बहुमत में ही नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पूरी उम्मीद है कि लोकपाल राज्यसभा से भी पास हो जाएगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मुताबिक, 'लोकपाल बिल लोकसभा में पास कर दिया गया है और मुझे उम्मीद है कि इसे राज्यसभा में भी पास कर दिया जाएगा।
राज्यसभा में कुल 243 सांसद हैं। सामान्य बहुमत से लोकपाल बिल पास कराने के लिए सरकार के पास 122 सांसद होने चाहिए, लेकिन यूपीए इस आंकड़े से बहुत दूर है। अभी सरकार के पास कांग्रेस के 71, डीएमके के सात, एनसीपी के सात, तृणमूल के छह, नेशनल कॉन्फ्रेंस के दो और आरएलडी के एक सांसद हैं। इसके अलावा सरकार के पास चार छोटी पार्टियों के चार सांसदों का भी समर्थन है। नामांकित सदस्य मणिशंकर अय्यर को भी मिला लें तो यह आंकड़ा 99 सांसदों का पहुंचता है, जो कि बहुमत से काफी दूर है। सरकार हद से हद यह उम्मीद कर सकती है कि बाकी के सात नामांकित सांसद भी उसके लिए वोट कर दें तो उसका आंकड़ा 106 तक पहुंच सकता है, लेकिन तब भी वो बहुमत से दूर रहेगी। ऐसे में सरकार के लिए मुश्किल यह होगी कि वो विपक्ष के सामने झुके या संसद के संयुक्त सत्र की तैयारी करे। बीजेपी ने लोकसभा में लोकपाल बिल पास करने में तो कोई अड़चन खड़ी नहीं की, लेकिन वो राज्यसभा में बिल को फंसाने की तैयारी में है। राज्यसभा में बीजेपी विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है और राज्यसभा में सरकार नहीं विपक्ष का बोलबाला है।
राज्यसभा में बीजेपी के 51, जेडीयू के आठ, शिवसेना के चार, टीडीपी के चार, शिरोमणि अकाली दल के तीन, सीपीएम के 13, सीपीआई के पांच, फॉरवर्ड ब्लॉक के एक, बीजेडी के छह, एआईएडीएमके के पांच, एजीपी के दो और आईएनएलडी के एक सांसद मिलाकर आंकड़ा 103 सांसदों का बैठता है। यही वजह है कि बीजेपी फिर सरकार को चेता रही है कि उसने लोकसभा में तो लोकपाल पास होने दिया लेकिन राज्यसभा में इतना आसान नहीं होगा।
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