स्वास्थ्य ठीक न होने और अनशन स्थल पर भीड़ न उमड़ने से खफा अन्ना हजारे ने बुधवार को एक दिन पहले ही अपना अनशन तोड़ दिया। गुरुवार को वह अपने गांव रालेगण सिद्धि के लिए रवाना हो गए हैं।
बुधवार को अपने गांव से आई एक बच्ची के हाथों नींबू-पानी पीकर अण्णा ने एमएमआरडीए मैदान में चल रहा अपना अनशन दूसरे दिन ही खत्म कर दिया। इससे पहले दोपहर को जब वह मंच पर आये, तो उन्होंने लोकसभा में कमजोर लोकपाल बिल पास किये जाने पर खुल कर अपनी नाराजगी व्यक्त की।
अण्णा ने कहा, ‘संसद में जो चल रहा है, वह खेदजनक है। इसलिए मैंने अपना अनशन अब खत्म करने का निर्णय लिया है। अब सिर्फ एक ही रास्ता बचा है और वह है पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करना। इन राज्यों के वोटरों में जागृति निर्माण करना।’ उन्होंने विश्वासघात करने वालों को वोट नहीं देने की अपील करते हुए कहा कि दो वर्ष बाद लोकसभा का चुनाव होने वाला है।
मैं तब भी पूरे देश में वोटरों को जागृत करने के लिए प्रचार करूंगा। अण्णा ने इसके साथ ही 30 दिसंबर से प्रस्तावित जेल भरो आंदोलन को भी स्थगित करने की घोषणा की।
अनशन तोड़ने की घोषणा करने के बाद ही अण्णा मंच छोड़ कर पीछे चले गये। माना जा रहा है कि सेहत ठिक न होने की वजह से अण्णा ने ऐसा किया। हालांकि देर शाम वे फिर मंच पर लौटे और रालेगणसिद्धी से आई एक बच्ची के हाथ नींबू-पानी पीकर औपचारिक रूप से अनशन तोड़ा। उनके साथ ही टीम अण्णा के सदस्य अरविंद केजरीवाल सहित अन्य लोगों ने भी अपना अनशन खत्म किया। उल्लेखनीय है कि दोपहर को जब अण्णा अनशन तोड़ने की घोषणा कर पंच से पीछे चले गये थे। तब अरविंद केजरीवाल, मनिष सिसोदिया, मयंक गांधी जैसे टीम के अन्य सदस्य मीडिया से मुखातिब हुए और उनके सवालों के बौछार का सामना किया।
आत्मचिंतन करें अण्णा : कांग्रेस
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस ने अण्णा को आत्मचिंतन करने की सलाह दी है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सचिन सावंत ने अण्णा के अनशन में भीड़ न जुटने के लिए टीम अण्णा के सदस्यों द्वारा पुलिस व ऑटो रिक्शा चालकों को दोषी ठहराना हास्यास्पद है। उन्होंने अण्णा द्वारा पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार किये जाने की घोषणा पर भी आपत्ति जताई है। सावंत का कहना है कि कांग्रेस ने लोकपाल विधेयक को अमल में लाने का पूरी ईमानदारी से प्रयत्न किया और देश व अण्णा को दिये वचन को पूरा करते हुए लोकसभा में विधेयक को पास भी कराया। इसलिए अण्णा को कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने के बदले कांग्रेस पार्टी का हाथ में लेकर देशभर में कांग्रेस का प्रचार करना चाहिए।
‘बांझ औरत क्या जाने प्रसव की पीड़ा क्या है?’ अण्णा के इस बयान पर राष्ट्र कवि प्रदीप की बेटी मितुल प्रदीप ने आपत्ति जताई है। उन्होंने अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से व्यक्त करते हुए कहा कि आज भी बहुत से परिवार में वे महिलाओं शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित की जाती हैं, जो किसी वजह से बच्चों को जन्म नहीं दे पाती हैं। ऐसे गंभीर मसले पर अण्णा द्वारा टिप्पणी करना ऐसी बेटियों और बहूयों की प्रताड़ना को प्रत्साहन देने वाला है। मितुल प्रदीप ने लगे हाथ अण्णा को स्वयंभू गांधी करार दिया है।
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