पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने नालंदा खण्डर के समीप स्थित गिद्धी पोखर को पक्षी अभ्यारण्य बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया गया है। मेहुदीनगर की 81.07 एकड़ भूमि में फैले इस पोखर में साइबेरिया समेत अन्य क्षेत्रों की 50 हजार से अधिक प्रवासी पक्षियां हर साल आतीं हैं।
पक्षियों के यहां आने का सिलसिला सैकड़ों वर्ष पुराना है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पांच दशक पहले यहां हर साल दो लाख से अधिक प्रवासी पक्षियां आतीं थीं। हाल के दिनों में पोखर का क्षेत्रफल भी घटा है और पक्षियों के शिकार के कारण यहां पक्षियों का आना कम हुआ है।
ढाई दर्जन से अधिक देशी-विदेशी प्रजातियों की पक्षियां यहां आती हैं। दर्जनों ऐसी किस्मों की मनमोहक पक्षियां यहां आती हैं जो लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इसके विकास से पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी वहीं पास स्थित घोड़ाकटोरा के ईको टूरिज्म को और बल मिलेगा। इस पोखर के आसपास 17 और पोखर हैं जिनमें जलचर सालोंभर विचरण करते रहते हैं। हालांकि आसपास के गांवों के लोग यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के प्रति काफी जागरूक हैं लेकिन सुरक्षा की विशेष व्यवस्था न होने के कारण शिकारी भी यहां आ धमकते हैं। सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था हो जाने के बाद पक्षियों की संख्या बढ़ सकती है।
गिद्धी पोखर को पक्षी अभ्यारण्य बनाने की दिशा में काम आगे बढ़ गया है और संपर्क पथ के निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है। यह पोखर नालंदा खंडहर, व्हेनसांग मेमोरियल हॉल व कुंडलपुर जैन मंदिर के समीप स्थित है जिसके कारण पक्षी अभ्यारण्य बनाना आर्थिक दृष्टिकोण से भी लाभकर सिद्ध होगा। प्रशासन की ओर से इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विशेष जानकारी दी जाएगी ताकि उनकी सहमति के बाद निर्माण कार्य में और तेजी लाई जा सके।

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