रूस ने बहुप्रतीक्षित परमाणु पनडुब्बी नेर्पा दस साल की लीज पर पर शुक्रवार को भारत को सौंपी जिससे भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में इजाफा होगा। अकुला द्वितीय श्रेणी नेर्पा परमाणु पनडुब्बी ने हाल ही में समुद्री परीक्षण पूरे किए हैं।
रूसी नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हस्ताक्षर कार्यक्रम कल प्रिमोरये क्षेत्र में स्थित बोलशोई कामन जहाज निर्माण केंद्र में हुआ जहां नेर्पा है। दस साल की लीज पर सौंपी जा रही इस पनडुब्बी का सौदा 92 करोड़ डॉलर का है। संवाद समिति की खबर में कहा गया है कि एक भारतीय चालक दल अकुला द्वितीय श्रेणी पनडुब्बी को जनवरी के आखिर तक स्वदेश ले जाएगा।
अधिकारी ने कहा कि (इस पनडुब्बी पर) नौसेना संबंधी संभी परीक्षण और प्रदर्शन संबंधी जांच पूरी कर ली गई है। महीनों तक पानी के अंदर रहने में सक्षम इस पनडुब्बी का नाम आईएनएस चक्र रखा जाएगा। दो दशक से अधिक समय में यह पहला मौका होगा कि भारतीय नौसेना के पास परमाणु पनडुब्बी होगी। रूस की ओर से नेर्पा सौंपे जाने के बाद भारत दुनिया में परमाणु पनडुब्बियों का छठा संचालक हो जाएगा। इस महीने के प्रारंभ में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की रूस यात्रा के दौरान नेर्पा सौदा का मुद्दा उठा था। दरअसल नेर्पा वर्ष 2008 में ही भारत को सौंपी जानी थी लेकिन उसी साल आठ नवंबर को समुद्री परीक्षण के दौरान हादसा हो जाने के बाद रूस प्रशासन ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।
परीक्षण के दौरान अग्निशामक गैस के रिसाव होने से 20लोगों की मौत हो गई जिनमें ज्यादातर नागरिक थे। अकुला द्वितीय श्रेणी नेर्पा पनडुब्बी में 28 परमाणु सक्षम क्रूज मिसाइलें लगी हैं और उसकी मारक क्षमता 3000 किलोमीटर तक है। भारतीय संस्करण में 300 किलोमीटर क्लब परमाणु सक्षम मिसाइल लगी होने की संभावना है। भारत ने 1991 में सोवियत संघ के विघटन से पहले अमूर शिपयार्ड में नेर्पा परमाणु पनडुब्बी का निर्माण पूरा करने में धन प्रदान किया था।
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