दिल्ली हाईकोर्ट ने वेबसाइट पर अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री होने के मसले पर गूगल इंडिया और फेसबुक से तुरंत कार्रवाई के लिए कहा है। अगर ऐसा नहीं किया तो चीन की तरह भारत में भी उन पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। अदालत ने इन कंपनियों को ऐसी सामग्री आने से रोकने के लिए एक ‘स्क्रीनिंग’ सिस्टम बनाने का भी निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने दोनों वेबसाइटों के खिलाफ निचली अदालत में चल रहे मामले पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। निचली अदालत की ओर इन कंपनियों को जारी समन को चुनौती देने की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुरेश कैथ ने कहा कि वेबसाइटों की ओर से ऐसा सिस्टम बनाया जाना चाहिए, जिसके तहत अश्लील सामग्री का पता लगाकर उसे हटाया जा सके।
गूगल के वकील ने अदालत से कहा कि साइट पर अश्लील सामग्री डालने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन ऐसे लोगों का पता लगाया जाना बेहद मुश्किल है। ऐसा कोई प्रावधान या तरीका नहीं है, जिससे डाली गई सामग्री पहचानी और रोकी जा सके। गूगल ने दलील दी कि कंपनी पर अश्लीलता दिखाने का आरोप नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि साइट खोलने से ही अश्लील सामग्री सामने नहीं आ जाती। उसे देखने के लिए सर्फिंग करनी पड़ती है। निचली अदालत ने विनय राय की याचिका के आधार पर फेसबुक, गूगल इंडिया, याहू, यू-ट्यूब सहित करीब 29 सोशल नेटवर्किंग साइटों के प्रतिनिधियों को समन किया था।
अदालत ने केंद्र सरकार को इनके खिलाफ उचित कार्रवाई कर 13 जनवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया था। अदालत ने इन सभी को आपराधिक षड्यंत्र रचने, अश्लील पुस्तकों की बिक्री व युवाओं को अश्लील सामग्री बेचने के आरोप में पहली नजर में दोषी ठहराया था। अदालत ने कहा था कि यह स्पष्ट है कि इन सभी की एक-दूसरे से मौन स्वीकृति है। यह भी स्पष्ट है कि इन साइटों पर पैगंबर मोहम्मद, ईसा मसीह व हिंदू देवी-देवताओं से जुड़े अपमानजनक आलेख शामिल हैं।

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