सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुखराम को जमानत दे दी। 1993 के दूरसंचार घोटाला मामले में तीन साल की सजा की तामील के लिए सुखराम ने शनिवार को निचली अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
पूर्व नौकरशाह रूनू घोष और हैदराबाद के व्यवसायी पी रामा राव को भी शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी तक जमानत पर छोड़ने की इजाजत दे दी। मामले में नियमित जमानत के लिए उनकी याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी हैं।
न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और जे चेलमेश्वर की पीठ ने सुख राम और उनके दोनो साथियों को जमानत देते हुए कहा कि उन्हें राहत देने के लिए निचली अदालत अपनी तसल्ली के लिए अपेक्षित शर्तें लगाएगी। तीनों की जमानत याचिका पर शीर्ष अदालत ने सीबीआई को भी नोटिस जारी कर 16 जनवरी तक जवाब देने को कहा। गत शनिवार को तिहाड़ जेल पहुंचने के बाद सुख राम को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया, क्योंकि डाक्टरों को लगा कि उनकी हालत बिगड़ रही है।
उपरोक्त तीन आरोपियों के लिए क्रमश: वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम, हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने पैरवी की और अदालत को बताया कि वह पिछले 20 वर्ष से जमानत पर हैं और उनके भाग जाने का कोई खतरा नहीं है। सुखराम की पैरवी करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि पूर्व मंत्री 86 वर्ष के हैं और अदालत को उन्हें जमानत देते समय इस तथ्य को जहन में रखना चाहिए।

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